जबलपुर। मध्यप्रदेश बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) फर्जीवाड़े के आरोपी डॉ जगदीश सागर को दो प्रकरणों में आज उच्च न्यायालय से जमानत का लाभ मिल गया है। इसके बाद उसकी जेल से रिहाई का रास्ता भी साफ हो गया है।
व्यापमं में सीनियर सिस्टम एनालिस्ट के पद पर पदस्थ नितिन महिन्द्रा को भी नौ प्रकरणों में उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है, लेकिन चार प्रकरणों में जमानत नहीं मिलने के कारण उसे जेल में ही रहना होगा।
व्यापमं मामलें के आरोपी जगदीश सागर को विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने 15 जुलाई 2013 को गिरफ्तार किया था। उस पर पीएमटी परीक्षा वर्ष 2012 और 2013 में फर्जीवाड़ा कर डेढ़ सौ से अधिक उम्मीदवारों को पांच से 25 लाख रुपए लेकर चयनित कराने के आरोप हैं।
एसटीएफ ने उसके घर से बड़ी रकम और अहम दस्तावेज भी बरामद किए थे और उसके नितिन महिंद्रा से सीधे संपर्क होने के भी सबूत मिले थे।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश एस के पालो की युगलपीठ को बताया कि एफटीएफ अपनी जांच पूरी कर न्यायालय में चालान पेश कर चुकी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच का भी लगभग एक वर्ष पूरा हो रहा है।
प्रकरण के अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और आरोपी लगभग तीन वर्ष से न्यायिक अभिरक्षा में है। युगलपीठ ने उसे जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा है कि डॉ सागर को सीबीआई के बुलाने पर पूछताछ के लिए उपस्थित होना होगा और पासपोर्ट एवं आधार कार्ड भी जमा करना होगा।
व्यापमं से ही जुड़े मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश ए के श्रीवास्तव की युगलपीठ ने नितिन महिन्द्रा को नौ प्रकरणों में जमानत दे दी।उसके खिलाफ वन रक्षक, पुलिस आरक्षक, एसआई भर्ती, डेरी सप्लाई अधिकारी, शिक्षक भर्ती, ट्रांसपोर्ट भर्ती, पीएमटी भर्ती घोटाले सहित अन्य भर्ती घोटालों में कुल 13 प्रकरण दर्ज हैं।
महिन्द्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि साक्ष्य नहीं होने के बावजूद उसे आरोपी बनाया गया है। वह विगत तीन वर्षो से न्यायिक अभिरक्षा में है। प्रकरण में अन्य आरोपियों को जमानत का लाभ भी मिल चुका है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उसे नौ मामलों में जमानत दे दी।
चार प्रकरणों में जमानत का लाभ नहीं मिलने के कारण फिलहाल महिन्द्रा को न्यायिक अभिरक्षा में ही रहना होगा। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान महिन्द्रा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पैरवी की।