हम अक्सर यह सुनते है कि इंदौर का ट्रेफिक बहुत खराब है, यहां सड़कों पर वाहन चलाना बेहद मुश्किल है, कौन कहां से किस तरफ से आ जाय समझ में नहीं आता, लोगों में ट्रैफिक सेंस है ही नहीं, पुलिस भी व्यवस्था बनाने की बजाय चालान (वसूली) में ही लगी रहती है, लोग सारे आम नियम तोड़ते है और हम एक मूक दर्शक की तरह सब कुछ होते हुए देखते है और चुप रहते है कौन उलझे, मुझे क्या पड़ी है, मैं अकेला ही क्यों बुरा बनू, कोई कुछ नहीं करता, गरीब की कोई सुनवाई नहीं, नेताओ और उनके कार्यकर्ता का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, मेरे पास फालतू टाइम नही है, यह तो ऐसे ही चलेगा, लोगों को कोई सुधार नहीं सकता, मैंने कम्प्लेन की थी कुछ नहीं हुआ, आदि इत्यादि इसी तरह की बातें मन ही मन सोचकर हम अपनी ही आवाज को दबा देते है और अपने काम पर लग जाते है ।
ऐसा वास्तव में है नहीं, इतनी भी अंधेरगर्दी नहीं है देश प्रदेश में, कम ही सही लेकिन अपराधीयों पर कार्यवाही होती है, उनको सजा मिलती है, हमारी जेलें मुजरिमों से भरी पड़ी है, नियम तोड़ने वालों द्वारा भरी जाने वाली जुर्माने की भारी भरकम राशि सरकारी खजाने में हर साल आती है, भृष्ट कर्मचारियों अधिकारियों को नौकरी से हटाया जाता है, सजा भी दी जाती है, खराब नेता जनता की अदालत से सजा पाकर चुनाव हारते हैं, जनता की बात अनन्त काल तक अनसुनी नहीं रह सकती, आम जनों द्वारा भेजी गई शिकायतें देखी जाती है, उन पर प्रभावी कार्यवाही भी होती है, मुख्यमंत्री जन सुनवाई योजना इसका एक जीता जागता उदाहरण है, कई लोगो ने यहां शिकायत कर अपनी समस्या का समाधान पाया है। ऐसी अन्य कई योजनाएं देश और प्रदेश में जारी है ।
आप व्यवस्था में सुधार तो चाहते हैं लेकिन स्वयम कुछ नहीं करना चाहते, हम हमेशा से यही चाहते है कि कोई एक नायक आये और हमारी सारी समस्याएं दूर कर दे जैसे रामायण के श्रीराम या महाभारत के अर्जुन, आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष या महात्मा गांधी लेकिन जनता के सहयोग के बगैर ये भी अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाते, याद करें असंख्य देशवासियों का आजादी की लड़ाई में सहयोग, रावण से यद्ध लड़ने के लिए लंका तक सेना को पंहुचाने वाले पुल के निर्माण में एक छोटी सी गिलहरी का सतत सहयोग, तो आपको भी वो गिलहरी बनना पड़ेगा, सबसे पहले तो आपको स्वयम सुधरना होगा, सड़क पर वाहन चलाते समय स्वयम नियम पालन का प्रण लेना होगा, फिर अपने परिवार को यही शिक्षा देना होगी, फिर अपने परिजनों को समझाना होगा, फिर अपने मित्रों से भी आग्रह करना होगा उनकी आदतों में सुधार का, यदि 1 व्यक्ति 10 व्यक्तियों में सुधार लाने की जिम्मेदारी ले सके तो 10 ऐसे व्यक्तित्व 100 लोगों को नियम पालन हेतु प्रेरित कर सकते है और 100 से हजार, हजार से 10 हजार होने में देर नहीं लगेगी, ऐसे 10000 व्यक्ति एक लाख लोगों को प्रभावित कर सकते है और इंदौर शहर के लिए यह बहुत बड़ी संख्या है यदि एक लाख इंदौरी यातायात नियमों का नियमित रूप से पालन करने लगें तो इंदौर को नम्बर 1 होने से कोई नहीं रोक सकता ।
और आदतन अपराधीयों पर लगाम कसने के लिए आपको थोड़ा सा समय भी देना होगा आजकल इंटरनेट पर गूगल करने से बहुत सारी जानकारी मिल जाती है, किस अपराध की शिकायत कहां करनी है यह जानकारी लें और सप्रमाण शिकायत प्रेषित करें, शुरुआत तो करें, बार बार शिकायत भेजने पर कुछ तो कार्यवाही होती है, प्रशासन भी जिम्मेदार और ऊपर किसी ना किसीको जवाबदेह भी है।
इंदौर में यातायात सम्बंधित शिकायत के लिए 7587632011 वाट्सएप नम्बर है, फोटो और वीडियो सहित अपराध के प्रमाण भेजिए । आप अपना कार्य कीजिये शेष ईश्वर पर आस्था रखिये और इस चित्र में प्रदर्शित इंदौर को सदैव ऐसा ही देखने का सपना सँजोईये, हम सब मिलकर सफल होंगे और इंदौर को ट्रैफिक में नम्बर 1 बनाकर ही दम लेंगे ।