भोपाल ! मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने साफगोई से कहा है कि उन्हें यह मानने में कोई गुरेज नहीं है कि बच्चे विपरीत परिस्थितियों में रह रहे हैं, लेकिन उनके कल्याण के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि बच्चों के कल्याण और विकास का काम अकेले सरकार नहीं कर सकती, इसके लिए जनभागीदारी जरूरी है। यूनिसेफ की वार्षिक रिपोर्ट दुनिया में बच्चों की स्थिति 2016 को जारी करते हुए यहां राज्यमंत्री जोशी ने बच्चों की बेवाक राय सुनी और कहा कि बच्चों के विचारों को सुनकर लग रहा है कि लोकतंत्र सही दिशा में जा रहा है। बच्चों के स्कूल न आने के कारणों के जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि काम के लिए अभिभावकों का पलायन करना बड़ा मुद्दा है। इससे निपटने के लिए सरकार ने आवासीय विद्यालय आरंभ किए और 53 हजार बच्चों को स्कूल पहुंचाया है। 51 जिलों में छात्रावास खोले गए हैं। उन्होंने जनभागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि शिवराज सरकार ने स्कूल चलो अभियान को जन आंदोलन बनाया। बच्चों के कल्याण की ऐसी योजनाओं को लागू कर सफल किया जाएगा।
विकास का मतलब ही बच्चे हैं
चाइल्ड राइट आब्जर्वेटरी की अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा कि विकास का मतलब ही बच्चे हैं। विकास का अर्थ भवन बनाना मान लिया गया है जबकि बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा देना ही विकास है। हमें तय करना है कि कैसे बच्चों को विकास का पूरा मौका मिले। बुच ने कहा कि बच्चे वंचित पैदा नहीं होते, बल्कि बाहरी परिस्थितियां उन्हें वंचित कर देती हैं। इसलिए हमें बच्चों को विकास के समान तथा प्रभावी अवसर देना है।