ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में पुलिस में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण अपराधों का ग्राफ लगातार बढता जा रहा है। भिण्ड शहर और गली मोहल्लों में अबैध शराब बनाने, गांजा, स्मैक और अबैध हथियारों के कारोबार के अलावा चोरियों का कारोबार खूब फलफूल रहा है।

जब कभी इस अबैध कारोबार के खिलाफ अभियान पुलिस चलाती भी है तो पुलिस छोटे-मोटे लोगों को पकडकर अपना कोटा पूरा करती है जबकि इस कारोबार के जुडे बडे काराबारियों पर हाथ नहीं डालती। इसका नतीजा है कि अपराध कम नहीं हो रहे। और वास्तबिक अपराधियों को पकडने में पुलिस भी डरती है। राजनैतिक हस्तक्षेप इसमें सबसे बडा कारण माना जा रहा है। लेकिन पुलिस का स्थानीय स्टाफ की मिली भगत किसी से छिपी नहीं है। वर्षों से एक ही थाने में पदस्थ आरक्षक, प्रधान आरक्षक भी अपराधियों से सांठगांठ रखते है।

कोई भी बारदात में एक दर्जन या आधा दर्जन अपराधी पकडे जाते हैं तो उसमें एक न एक अपराधी पुलिस वाले का परिवारीजन या रिश्तेदार मिलना तय है। भिण्ड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव ने जब इसकी बारीकी से जांच की तो सही पाया कि पुलिस वालों के परिवारीजन या रिश्तेदार बारदातों में पकडे गए हैं। किसी भी थाना क्षेत्र व बीट प्रभारी के इलाके में अबैध कारोवार चल रहा है लेकिन उसको जानकारी नहीं है। ऐसा नहीं होता है पुलिस आर्थिक लाभ के लिए उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करता न अपने अधीनस्थ अधिकारी को बताता है। पुलिस के आला अधिकारी भी कभी अचानक थानों का निरीक्षक नहीं करते। जबकि कभी थाने का वार्षिक निरीक्षक होता भी तो तो अधिकारी सूचना देकर निरीक्षण करने आते है। अगर बिना सूचना के थानों का निरीक्षण किया जाए तो अपराधी थानों में मटरगस्ती करते मिल जाऐंगे। थाना प्रभारी के चेम्बर में भला इंसान जाने में डरता है और अपराधी हंसी मजाक करते मिल जाऐंगंे। पुलिस और अपराधी जाम से जाम टकरायेंगे तो भला इंसान कैसे सुरक्षित रह पाएगा।

किसी टीआई, उपनिरीक्षक का भिण्ड से दूसरे जिले में तबादला हो जाता है तो वह कुछ समय काटने के बाद पुनः भिण्ड ही वापस आता है ऐसा क्यों होता है ये बात भी किसी से छिपी नहीं है। जो आरक्षक, प्रधान आरक्षक जिस थाने में रहना चाहे उसी में रहता है दूसरे थाने में अगर तबादला भी कर दिया जाए तो वह वापस उसी थाने में आ जाता है। जिस थाना क्षेत्र में अपराधी बारदात करें तो उस थाने का थाना प्रभारी व बीट प्रभारी को जिम्मेदार माना जाए और उसको उस थाने में फिर न पदस्थ किया जाए। बीट प्रभारी कभी अपनी बीट में नहीं जाता किसी को पता भी नहीं होता कि उसके इलाके का बीट प्रभारी कौन हैं। थाना प्रभारी कभी पैदल बाजार में नहीं निकलते उनको अपने दलालों से ही फुरसत नहीं मिलती है जो शहर में निकले।

भिण्ड जिले में अबैध शराब पीने से पहली बार मौतें नहीं हुई है। जगह-जगह अबैध शराब का कारोवार चल रहा है। भिण्ड जिले के रौन थाना क्षेत्र के इन्दुर्खीं में शराब पीने से 3 लोगों की मौत पर भिण्ड पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चैहान ने भिण्ड शहर कातवाली के टीआई राजकुमार शर्मा और रौन थाने के टीआई उदयभान सिंह यादव को निलंबित कर दिया तथा एक उपनिरीक्षक व 4 जवानों को थानों से हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया है। पुलिस अधीक्षक ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इस घटना को लेकर कोई बवाल न मचे। पुलिस ने कभी सोचा 2 सगे भाई और एक रिश्तेदार की मौत पर उनके परिवारीजनों पर क्या बीत रही होगी। पुलिस के अधिकारी जिन्हें सरकार सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराती है उनकी जिम्मेदारी है कि वह वाताकूलित कमरे से बाहर निकले और अपनी भी जवावदेही समझे। पुलिस का जब तक अपराधियों में भय नहीं होगा ये अबैध कारोवार निरंतर चलता रहेगा और लोग हादसों का शिकार होते रहेंगे।