सागर ! शहर का जिला चिकित्सालय आए दिन विवादों के घेरों में फसा रहता है। डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते आए दिन जिला चिकित्सालय अखबारों में चर्चा का विषय बना रहता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकार लोगों को जागरूक करने में लगी हुई है पर उनके ही सरकारी नुमाईंदे ही अभी तक जागरूक नहीं हो सके है। इसकी बानगी जिला चिकित्सालय में देखने को मिली।

जिला चिकित्सालय के लंगा वार्ड के पीछे दो दिनों एक गाय मरी पड़ी हुई है और दो दिन होने के कारण गाय से उठ रही बदबू से जिला चिकित्सालय के मरीज और उनके साथ आए परिजन नाक में कपड़ा बांधकर जिला चिकित्सालय के बाहर डेरा डाले हुए है। इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई पर उन्होंने जिला चिकित्सालय में संक्रमण फैला रही गाय को लंका वार्ड के पीछे से हटवाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। चिकित्सालय में भर्ती मरीज मृत गाय की बदबू और उसके द्वारा फैल रहे संक्रमण से और भी बीमार हो सकते है यह बात जिला चिकित्साल के डॉक्टरों और अधिकारियों को कोई लेना देना नहीं है। मरी हुई गाय से इतनी जोरदार बदबू फैल रही है कि परिजनों के साथ भर्ती हुआ मरीज भी अस्पताल के बाहर जाने को मजबूर हो गए। आइसोलेशन यानि लंका वार्ड जहां उल्टी-दस्त के मरीजों को भर्ती कराया जाता है। एक तो मरीज पहले से ही संक्रमण से ग्रसित है और फिर मरी हुई गाय के मृत शरीर से फैल रहे संक्रमण से मरीजों की जान पर बनी हुई है।
इस संबंध में जब जिला चिकित्सालय में परेशानी झेल रहे मरीजों के परिजनों से बात की तो उनका कहना था कि दो दिनों से यहां पर बैठना भी मुश्किल हो रहा है। इसकी शिकायत हम लोगों ने उच्च अधिकारियों एवं डॉक्टरों से भी की पर यहां पर हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। परिजनों का कहना है कि अगर यहां एक दो दिन यही हाल रहा तो लगता है कि हम लोग भी संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे। दो दिन से हम लोग मुंह में कपड़ा बांधकर बाहर ही बैठे रहते हैं।

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