भोपाल ! भोपाल की जेल में बंद उज्बेकिस्तान की 35 वर्षीय महिला डी जुरायवा बार्नो के बारे में राज्य मानव अधिकार आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर दूतावास से संपर्क करने को कहा है। आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र मोहन कंवर ने पत्र में लिखा है, कि आरोपी ने अपराध स्वीकार किया है, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। क्या इस संबंध में संबंधित दूतावास को डी जुरायवा की गिरफ्तारी की सूचना दी गई है, यदि दी गई है, तो कब दी गई है। आयोग ने सवाल किया है, कि जब महिला की भाषा ही किसी को नहीं आती, तो वह क्या कह रही है, यह कैसे मालूम हुआ।
14 जून को लिखे पत्र में आयोग ने यह भी जानना चाहा, कि इस महिला को भारत कौन लाया व भोपाल कौन लाया, इसकी जांच की गई या नहीं? जांच में क्या पाया, महिला गर्भवती कैसे हुई, उसके साथ बलात्कार हुआ या क्या छानबीन के समय इसे देखा गया है? यह महिला अपने देश से भारत क्यों आईं? इसकी विस्तृत जांच दूतावास से संपर्क कर की जानी चाहिए और इस संबंध में दूतावास को शीघ्र सूचना दी जानी चाहिए।
आयोग ने इससे पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पहला पत्र 10 मार्च, 2016 को लिखकर उनसे विस्तृत प्रतिवेदन मांगा था, लेकिन जब 5 अप्रैल, 2016 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की ओर से आयोग को कोई जानकारी नहीं दी गई, तो पुन: 5 अप्रैल को पत्र लिखकर आयोग ने पहली मई तक यह जानना चाहा, कि क्या इस महिला के साथ कोई अपराध घटित हुआ है? इस पत्र का जवाब भी आयोग को नहीं मिला। गौरतलब है कि यह महिला दिसंबर महीने से भोपाल की जेल में बंद है और जेल में ही उसने एक बच्चे को जन्म दिया है। जेल प्रशासन को पहले ही मेडिकल जांच के बाद उसके गर्भवती होने की जानकारी मिली थी। जेल अधीक्षक की ओर से यह जानकारी 4 फरवरी को कोर्ट में दी गई थी। पुलिस के अनुसार डी जुरायवा बार्नो पर्यटन वीजा पर नेपाल पहुंची थी। वहां पर कुछ लोगों ने उसे नशीला पदार्थ खिला दिया, जिसके बाद उसे दिल्ली से यहां आया गया। यहां होश आने के बाद स्थिति समझते हुए उसने जाटखेड़ी में रहने वाले विश्वास सरकार को फोन कर मदद मांगी और फिर भोपाल आ गई। भोपाल आने के बाद विकास महिला को थाने ले गया जहां 9 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की गई। फिलहाल फॉरेनर एक्ट की धारा 14 के उल्लंघन करने पर महिला जिला जेल में बंद है।