जयपुर । गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी । गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डाक्टर रघु शर्मा ने बताया कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी । 

जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है। रविवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए रघु शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने अपवाद को छोड़कर किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस ने न्याय यात्रा शुरू की है। इस यात्रा में कोरोना मृतकों के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है। कोरोना से मारे गए लोगो के आश्रितों के पास घर-घर जाकर एक लाख फार्म भरवाए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि कोविड के दौरान गुजरात में तीन लाख लोगों की मौत हुई है। शर्मा ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार मृतकों के सही आंकड़े नहीं बता रही है। कोविड के दौरान देश में सबसे ज्यादा मौत गुजरात में हुई है। यह मौतें भाजपा सरकार द्वारा कोरोना प्रबन्धन नहीं करने के कारण हुई है। कोरोना में मारे गए लोगों के आश्रितों को सरकार ने अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं दी है।

जिला कांग्रेस अध्यक्षों को सरकारी में पद देने का निर्णय

राजस्थान में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को जिला स्तर की बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समितियों का उपाध्यक्ष बनाया जाएगा । यह समितियां सरकारी है और उपाध्यक्ष के पद को राजनीतिक नियुक्ति माना जा रहा है। समितियों में अध्यक्ष जिला कलेक्टर होते हैं। सरकार ने एक दिन पहले 13 जिला कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों को उपाध्यक्ष बनाया है। अब शेष 20 में भी इसी तरह से नियुक्ति होगी । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा को भी राज्य बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति का उपाध्यक्ष बनाया जाएगा । इस सम्बन्ध में अगले एक-दो दिन में आदेश जारी होंगे । डोटासरा ने कहा कि यह पद प्रशासन के साथ सत्ताधारी पार्टी के जिला अध्यक्ष का समन्वय बनाने का एक माध्यम है। कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद फार्मूले को खारिज करते हुए डोटासरा ने कहा कि यह पद नहीं है। यह समन्वय स्थापित करने का एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि जिलों के प्रभारी मंत्री व्यस्तता के कारण कई ऐसी बैठक नहीं ले पाते हैं जो सत्तारूढ़ दल के घोषणा पत्र को क्रियान्वित करने के लिए जरूरी होती है। ऐसे में अब यह बैठक उपाध्यक्ष ले सकेंगे । जिला स्तर के सभी अधिकारियों को उपाध्यक्ष द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होना अनिवार्य होगा।