बैतूल ! भैंसदेही के घुगरी गांव में कल रात एक और आदिवासी की मौत के बाद जिला प्रशासन और भाजपा के नेताओं में हडक़म्प मच गया। गांव में भगरती बाई के यहां शादी में आये धार के हरीमहू निवासी 40 वर्षीय मोहनु पिता डोमू की मौत के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश हैं।आदिवासी ग्रामीणों का अब सरकारी दवाओं से भरोसा ही उठ गया है।
गांव के ज्यादतर आदिवासी कहते हैं की सरकारी इलाज के बाद भी बीमार ठीक नहीं हो रहे हैं। जिला प्रशासन घुगरी में महामारी को लेकर कितना संवेदनशील है इसका उदाहरण पीडि़त की चौथी मौत बन गई है। जिला अस्पताल रेफर करने के बाद पीडि़त को उपचार मिल रहा या नहीं, उसकी हालत कैसी है इसे देखने की जहमत तक नहीं उठाई गई। आलम यह रहा कि जिला अस्पताल में उपचर के दौरान उसकी मौत हो गई। यदि मोहनु की हालत गम्भीर थी तो उसे भोपाल या पाढर क्यों नही भेज दिया गया। विधायक हेमन्त खण्डेलवाल, विधायक महेन्द्र सिंह चौहान, कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी. पाटील एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सौरभ कुमार सुमन ने सोमवार को ग्राम घगरी पहुंचे और स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया। उल्लेखनीय है कि घुघरी गांव में कुएं का गन्दा पानी पीने से फैली महामारी से पहले ही तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से एक 45 वर्षीय भुई नामक आदिवासी की शुक्रवार को महाराष्ट्र के परतवाड़ा के निजी अस्पताल मेंमौत हो गई थी।

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