भोपाल । प्रदेश की पंचायतों में ओबीसी वोटर्स की गिनती कराने का आदेश देने के बाद राज्य सरकार अब यह जानकारी जुटा रही है कि प्रदेश की पंचायतों में अनारक्षित सीटों पर पिछले सालों में कितने ओबीसी नेता निर्वाचित हुए हैं।

पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग इस जानकारी के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में ओबीसी नेताओं के पिछड़ेपन का अध्ययन करना चाहता है। साथ ही ओबीसी वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण को खत्म करने के मामले में कोर्ट में यह जानकारी देने की तैयारी है कि इसी के चलते इस वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने का काम सरकार कर रही है।

मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा बुधवार को जारी आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन के स्वरूप, रीति और कारणों के अध्ययन की जानकारी मांगी है जिसके कारण पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों की राजनीतिक हिस्सेदारी में बाधा उत्पन्न होती है। कलेक्टरों से कहा गया है कि जिलों की सभी ग्राम पंचायतों की वार्ड इकाई वार और पंचायत वार अनारक्षित वर्ग के लिए निश्चित सीटों के विरुद्ध चुने गए अन्य पिछड़ा वर्ग के जनप्रतिनिधियों की जानकारी दस दिन में एक्सेल शीट में प्रस्तुत करें। यह जानकारी सात जनवरी तक मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के दफ्तर में पहुंचाने के लिए कहा गया है।

गौरतलब है कि 17 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण खत्म करने का आदेश देने के बाद राज्य सरकार पंचायतों में निवास करने वाले ओबीसी वर्ग के वोटर और उनकी अलग-अलग जातियों की जानकारी मांग चुकी है। इसके लिए पंचायत सचिवों को जल्द जानकारी भेजने के लिए कहा गया है।

इसके पहले नवंबर माह में मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के सचिव द्वारा जारी निर्देश में कलेक्टरों से मांगी गई जानकारी में कहा गया था कि प्रदेश में पिछड़े वर्ग की वर्तमान सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने तथा इन वर्गों का कल्याण करने के लिए सुझाव और अनुशंसाएं आयोग को देना है। इसलिए शासन की विभिन्न योजनाओं और विभागों की संरचना में ओबीसी वर्ग की भागीदारी का अध्ययन किया जाना है। आयोग ने कलेक्टरों से जिला स्तर पर नियुक्त और वर्तमान में कार्यरत तृतीय, चतुर्थ श्रेणी तथा संविदा/ आउटसोर्स और अन्य नियुक्त ओबीसी वर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी भेजी जाए।