रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम, युवाओं को रोजगार, महिलाओं को पूर्ण सम्मान और स्थानीय संस्कृति को नई पहचान देकर तथा आदिवासियों का उत्थान कर हम नवा छत्तीसगढ़ गढ़ रहे हैं।

ग्राम स्वराज के स्वप्नद्रष्टा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए छत्तीसगढ़ में सुराजी गांव योजना की शुरूआत की गई है। लोगों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए किसानों की कर्जमाफी, अच्छी कीमत पर फसलों की खरीदी, वनोपजों की खरीदी और उनके मूल्य संवर्धन के लिए प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना जैसे कई काम किए गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर में आउटलुक ग्रुप द्वारा आयोजित स्पीकआउट छत्तीसगढ़-2021 को संबोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिला स्वसहायता समूहों को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम में कहा कि जिन समाजों ने महिलाओं की अनदेखी, उपेक्षा और उन्हें घर की चहारदीवारी में बंद करने का प्रयास किया है, उन्हें पराभव का मुख देखना पड़ा है। पुराने समय में महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से दूर रखा गया। उन्हें चहारदीवारी में बंद कर उपभोग की वस्तु बना दी गई। देश की आजादी के समय महिलाओं को संपत्ति रखने तक का अधिकार नहीं था। देश का संविधान बनने के बाद राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक तौर पर महिलाओं के उत्थान के काम हुए, पर अनेक कोशिशों के बाद भी आधी आबादी को पूरा हक नहीं मिल पाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने के लिए स्वसहायता समूहों की महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। वे घर के काम-काज निपटाने के साथ ही स्वरोजगार कर परिवार की आय बढ़ा रही हैं। महिला समूहों द्वारा निर्मित अनेक उत्पादों की अच्छी मांग है। गौठानों में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों के संचालन के साथ ही महिलाएं बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम कर रही हैं। प्रदेश की 70 हजार महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं। डीएपी खाद की कमी होने पर गौठानों में निर्मित वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट ने इसका अच्छा विकल्प दिया है। बहुत से किसानों ने अपने खेतों में इसका उपयोग किया है। इसने छत्तीसगढ़ को जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर किया है।

श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में गौपालन को अर्थ से जोड़ा जा रहा है। गौठान के रूप में प्रदेश भर में एक लाख एकड़ से अधिक जमीन संरक्षित की गई है। पशुपालकों से गोबर की खरीदी की जा रही है। उन्होंने कहा कि गोबर अब केवल लिपने के काम नहीं आ रहा है। इससे अब दीवारों की पुताई भी होगी। गोबर से पेंट बनाने के लिए एमओयू किया गया है। गौठानों में इससे बिजली बनाने का भी काम चल रहा है। स्वसहायता समूहों की महिलाएं गोबर के अनेक उत्पाद बनाकर कमाई कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी काम में महिलाओं का साथ सफलता की गारंटी होती है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश की 70 हजार मितानिनों ने इस पर नियंत्रण पाने में बड़ी भूमिका निभाई। कोरोना के लक्षण दिखने पर मितानिनों ने तत्काल लोगों को दवाईयां उपलब्ध कराईं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता दीदियों के योगदान से छत्तीसगढ़ पिछले तीन वर्षों से देश के स्वच्छतम राज्यों में शुमार है। बघेल ने कहा कि मैं प्रदेश की महिलाओं को सलाम करता हूं जो हमारा मान-सम्मान बढ़ा रही हैं। वे अपनी उपलब्धियों से प्रदेश को गौरवान्वित कर रही हैं।

नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर स्वसहायता समूहों के काम को आगे बढ़ाने के लिए हर जिले में काम हो रहा है। प्रदेश की सभी 169 नगरीय निकायों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता दीदी अच्छा काम कर रही हैं। यहां के स्वच्छता दीदियों को सर्वाधिक मानदेय मिल रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिए छत्तीसगढ़ में अनुकरणीय काम हो रहा है। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुवेर्दी, जनसंपर्क विभाग के आयुक्त दीपांशु काबरा और आउटलुक ग्रुप के सीईओ इंद्रनील राय भी कार्यक्रम में मौजूद थे।