दिल्ली/ वर्ष 2012 में अमेरिका स्थित एक एनआरआई डॉक्टर और उसके वकील मां को अवैधरूप से गिरफ्तार करने के लिए उच्च न्यायलय ने आज मध्य प्रदेश पुलिस को भारी फटकार लगाईं.पुलिस द्वारा दजऱ् प्राथमिकी को अदालत खारिज कर दिया और प्रत्येक पीडि़त को मुआवजे के रूप में रु.5 लाख रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र ने कहा,कि आजादी की अपनी पवित्रता होती है.।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और एस के सिंह, की युगल पीठ -जो ग्रीष्म अवकाश में इस और कई अन्य मामलों के निपटारे के लिए बैठी है,ने कहा कि मां-बेटी की जोड़ी के खिलाफ इस मामले में धारा 420 के अंतर्गत धोखाधड़ी होना नहीं पाया गया है,इसलिए इसे खारिज किया जाता है. न्यायमूर्ति द्वय ने कहा कि रिपोर्ट का अध्ययन करने पर साफ़ पता चलता है कि पुलिस ने याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी में भारतीय दंड संहिता की धारा 41-ए के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ ,बल्कि गिरफ्तारी और जब्ती में उसका कई बार उल्लंघन किया गया है .याचिकाकर्ताओं के साथ हुए इस व्यवहार को किसी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है. युगल पीठ ने आगे कहा-ऐसी स्थिति में, हमें लगता है कि याचिकाकर्ताओं- एक डॉक्टर और एक पेशेवर वकील की गरिमा को गंभीर आघात पहुँचाया गया है .इसलिए तमाम तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमें यह उचित लगता है,कि म.प्र.सरकार तीन महीनों के भीतर याचिकाकर्ताओं में से प्रत्येक को मुआवजेके रूप में रु.5 लाख (कुल 10 लाख रुपये) का भुगतान करे। यह फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, कि किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में गैर कानूनी ढंग से कटौती की जाती है,तो उसे आघात पहुँच सकता है और व्यवस्था से उसका मोहभंग हो सकता है.इस मामले में यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता की स्वतंत्रता पर कानून के खिलाफ जाकर चोट की गई है.जबकि व्यक्ति की स्वतंत्रता की अपनी पवित्रता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने आपको भावनात्मक रूप से आहत महसूस कर सकता है,क्योंकि यह उसकी पहचान पर हमला है.
उल्लेखनीय है,कि रिनी जौहर और उनकी मां गुलशन जौहर को मध्यप्रदेश साइबर पुलिस द्वारा पुणे में उनके निवास से 27 नवम्बर 2012 को गिरफ्तार किया गया था । उन पर यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कैमरे और एक लैपटॉप की खरीद से संबंधित एक सौदे में साढ़े10 हज़ार डालर की धोखाधड़ी की है।उन्हें हथकड़ी लगाकर भोपाल लाया गया था.अपनी याचिका में दोनों महिलाओं ने आरोप लगाया था कि उनके अनुरोध के बावजूद गिरफ़्तारी के बाद उन्हें एक अनारक्षित डिब्बे में पुणे से भोपाल ले जाया गयाऔर उनमें से एक को भोजन-पानी के बिना डिब्बे के ठन्डे फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया गया था।