ग्वालियर। सीमा सुरक्षा बल का 57 वां स्थापना दिवस कल एक दिसंबर 2021 को मनाया जायेगा। स्वतंत्रता के बाद देश की सीमाओं की देखरेख राज्य के सशस्त्र बलों द्वारा होती थी। 1962 के भारत -चीन युद्ध और तत्पश्चात कच्छ में पाकिस्तान की दखलंदाजी के बाद बदली परिस्थितियों में बल की स्थापना एक दिसंबर 1965 को प्रथम महानिदेशक आईपी केएफ रूस्तमजी के नेतृत्व में की गई। प्रारंभ में बल की स्थापना पाकिस्तान से लगती सीमाओं की निगरानी के लिये की गई।
बीएसएफ की शुरूआत में 25 बटालियनों के साथ हुई। इसमें मुख्यत: सशस्त्र पुलिस बल के ही कर्मी स्वेच्छा से शामिल हुये। समय के साथ सीमा सुरक्षा बल का काफी विस्तार हुआ , और आज इस बल की जनशक्ति 193 बटालियन तक पहुंच चुकी है। लगभग 7419.7 किलोमीटर लम्बी पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की महती जिम्मेदारी इसके पास है। उत्तर की दुर्गम गगनचुम्बी हिमाच्दादित पहाडियों की हाड कंपाती ठंड, थार रेगिस्तान की चिलचिलाती धूप, पूर्वांचल की विषम परिस्थितियों व कच्छ की सपाट दलदली जमीन, सभी जगहों पर सीमा सुरक्षा बल के जवान दिन-रात विषम परिस्थितियों का पूरी जीवटता के साथ सामना कर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को सर्वदा तत्पर खडे हैं। आज बीएसएफ के पास खुद का तोपखाना, जल शाखा तथा वायु शाखा है और विश्व में अपने प्रकार का इकलौता सीमा सुरक्षा बल है।
अपने 57 साल के गौरवमयी इतिहास में सीमा सुरक्षा बल की कई उपलब्धियां खास रही हैं। सीमाओं की सुरक्षा और सीमावर्ती निवासियों में विश्वास की भावना पैदा करना इस सोच के साथ बल का गठन किया गया था। इतिहास गवाह है कि बल ने अपने मूलभूत कसौटियों पर अपेक्षाओं से ज्यादा अपने आपको सर्वदा प्रमाणित किया है। अपने शैशवकाल में ही 1971 के युद्ध के दौरान सीमा सुरक्षा बल के योगदान को कोई भूल नहीं सकता। खुद तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने मुक्त कंठ से बल के योगदान और जवानों के बलिदान की प्रशंसा की थी। बीएसएफ ने 1971 में भारत.पाक युद्ध में सक्रिय हिस्सा लिया और 339 अलंकरण एवं वीरता मेडल प्राप्त किए। सन् 1999 में ऑप्स विजय फिर ऑप्स पराक्रम जैसी कठिन परिस्थितियों में सीमा सुरक्षा बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरहदों पर मोर्चा संभाले रखा।
विगत वर्षों में पूर्वांचल में अलगाववाद, पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद और वर्तमान में वामपंथी अतिवाद को नियंत्रित करने के संघर्ष में सीमा सुरक्षा बल के योगदान का देश साक्षी रहा है और अपनी उपलब्धियों से देश का मान बढाया है। इसके अलावा जब कभी भी देश को सीमा सुरक्षा बल की सेवाओं की जरूरत महसूस हुई है, तब अपनी उत्कृष्ट सांगठनिक कार्यक्षमता और जवानों के अप्रतिम जीवट और साहस की बदौलत सर्वदा अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। साथ ही कम समय में अपनी एक विशिष्ट और विश्वसनीय पहचान बनाने में सफल रहा है। सीमा प्रबंधन के अलावा बल ने आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी तथा आपदा प्रबंधन में भी अपना अहम योगदान दिया है।
बीएसएफ आज सीमाओं की सुरक्षा से लेकर काउंटर इमरजेंसी, आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी तथा नक्सल विरोधी अभियान में अपना अहम योगदान दे रही है। पूरी दुनिया के सबसे बडे बॉर्डर गार्डिंग फोर्स का खिताब हासिल करने वाला यह बल अपने उत्कृष्ट सीमा प्रबंधन के लिये विश्व विख्यात है। देश की सुरक्षा की महती जिम्मेदारी बल के पास है। सीमा सुरक्षा बल देशहित को सर्वोपरि रखते हुए देश की सुरक्षा एवं विकास में बल के सभी कार्मिक अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहा है।