भोपाल । इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने को लेकर भले ही आईएएस अफसरों की नाराजगी सावर्जनिक नहीं दिखाई दी हो, लेकिन उन्होंने अपनी नाराजगी और आपत्ति सरकार तक पहुंचा दी है। नतीजे में जिस तेजी से इसे लागू करने की तैयारी थी, उसकी रफ्तार धीमी हो गई है। अब इसमें कुछ बिंदुओं पर बदलाव किए जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सूत्रों की मानी जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास ड्रॉफ्ट तैयार होकर भेजा जाना था, सीएम इस ड्रॉफ्ट को देखते उससे पहले ही उन तक कुछ बिंदुओं पर आपत्त्ति पहुंच गई।
नतीजे में अब इसके मसौदे को लेकर एक बार फिर से कुछ बिंदुओं पर विचार किया जाएगा। इसके लिए विधि और गृह विभाग के अफसर चर्चा करने के लिए साथ बैठ सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिन बिंदुओं पर आपत्ति है उस पर यदि समन्वय बना तो ठीक है, नहीं तो उन बिंदुओं पर यथास्थिति रखते हुए इस सिस्टम को लागू करने की तैयारी की जाएगी। ऐसा माना जा रहा था कि एक दिसंबर से इस सिस्टम को दोनों शहरों में लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अब इसमें कुछ दिन और लग सकते हैं। हालांकि आज इस पर प्रदेश के आला अफसरों के साथ मुख्यमंत्री चर्चा कर सकते हैं।
इस सिस्टम के प्रस्ताव में पुलिस मुख्यालय ने पुलिस आयुक्त प्रणाली में पुलिस के अधिकारों को लचीला रखा था, लेकिन इसके बाद भी कुछ बिंदुओं को लेकर आईएएस अफसरों को आपत्ति थी। जिसके चलते इस ड्रॉफ्ट पर फिर से विचार होगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दस दिन पहले इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का ऐलान किया था। तब यह माना जा रहा था कि एक दिसंबर से इसे लागू कर दिया जाएगा। हालांकि पुलिस मुख्यालय के अफसर इसे एक जनवरी से लागू करने की बात सीएम से कर चुके हैं। इसे लेकर पुलिस मुख्यालय की ओर से तर्क दिया गया था कि एक जनवरी को आईपीएस अफसर पदोन्नत भी हो जाएंगे। वहीं अपराधों का आंकड़ा भी एक जनवरी से 31 दिसंबर तक का देखा जाता है। इसलिए एक जनवरी से इसे लागू करना ज्यादा सुविधा जनक रहेगा।