धार। मध्यप्रदेश में अंग्रेजों के जमाने में राजा द्वारा लीज पर दी गई जमीन के घोटाले की परतें खुल रही हैं। दो सौ करोड़ से ज्यादा कीमत की लीज की साढ़े सात एकड़ जमीन 37 बार खरीदी और बेची गई है। शिकायत पर 3 महीने की जांच के बाद 26 भू-माफिया और एक संस्था के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह जमीन करीब सवा सौ साल पहले 99 साल के लिए लीज पर दी गई थी। लीज खत्म हो गई। इसके बाद इस जमीन का व्यक्तिगत इस्तेमाल शुरू कर दिया गया। इसमें धार के कई नेता, कॉलोनाइजर और ठेकेदार बेनकाब होते दिख रहे हैं।

इस फर्जीवाड़े में तीन कॉलोनाइजर, सात वकील और भाजपा नेता के भाई सहित व्यापारी शामिल थे। मुख्य आरोपी ने खुद को कभी आदिवासी बताया तो कभी ईसाई। इस मामले में पुलिस की 5 टीमों ने रविवार को मुख्य आरोपी सहित 13 को गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी सुधीर दास को पांच दिन की रिमांड पर सौंपा है। अन्य आरोपियों को जेल भेज दिया है।

जानिए जमीन फर्जीवाड़े की पूरी कहानी
यह जमीन शहर की आदर्श सड़क के टीवीएस चौराहे के समीप है। धार महाराज आनंदराव पवार ने 19 अगस्त 1895 में यह जमीन केनेडियन के लिए जन कल्याणार्थ के लिए दी गई थी। 1972 में बिलासपुर से आए डॉ. रत्नाकर पीटर दास की मेडिकल सुपरिटेंडेंट के रूप में नियुक्ति की गई थी।

इसमें किसी काे भी भूमि स्वामी घोषित नहीं किया था। यहां पर महज चंद रुपयों में गरीबों का इलाज किया जाना था, जिसके लिए बकायदा डॉक्टर और स्टाफ के लिए क्वार्टर बनाने की भी अनुमति दी गई थी। साथ ही शेष भूमि पर खेती की जानी थी।

लीज 1994 में समाप्त हो गई थी और 15 मार्च 2000 में डॉ. रत्नाकर पीटर दास की माैत हाे गई थी। इसके बाद मृतक रत्नाकर की पत्नी डॉ. ईपी दास ने बेटे सुधीर दास और बहू शालिनी दास काे जमीन का दायित्व सौंप दिया था। सबसे पहले जमीन की रजिस्ट्रियां अखिलेश पुत्र अमृतलाल शर्मा को मुख्तारनामा देकर की गई थी। 12 मार्च 2012 को डॉ. ईपी दास की भी मौत हो गई। इसके बाद जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर टुकड़े-टुकड़े में बेचने का सिलसिला शुरू हुआ। एक ही जमीन काे कुल 37 बार बेचा-खरीदा गया और रजिस्ट्रियां करा दी गईं।

यहां पर निजी स्कूल, भवन, कॉम्प्लेक्स, क्लीनिक बनाकर इसे व्यावसायिक उपयोग में लिया जाने लगा। इसके संचालन के लिए बकायदा समिति बनी थी। यहां पर वर्तमान में एक शॉपिंग मॉल बनाने की तैयारी की जा रही है। वहीं, करीब इन लोगों ने बड़े-बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान बना लिए गए हैं।

ग्वालियर, इंदौर और धार से जुटाए सबूत
अक्टूबर 21 में धार एसपी आदित्य प्रताप सिंह के पास जयसिंह पिता केसर सिंह ठाकुर निवासी पांदा तहसील महू ने इसकी शिकायत की। एसपी ने जांच महिला अपराध शाखा की डीएसपी यशस्वी शिंदे को सौंपी थी। मामले की तीन महीने तक जांच की गई। मामले में 2200 पन्ने की एक फाइल को तैयार किया। मामले में शहर के नामी लोग शामिल थे। इसके बाद प्रत्येक साक्ष्य को जुटाने के लिए ग्वालियर भू अभिलेख से लेकर हाईकोर्ट सहित अन्य स्थानों से सत्यापित दस्तावेज जुटाए गए।

भागने के फिराक में था मुख्य आरोपी
पांच टीआई, सीएसपी व डीएसपी की पूरी टीम आरोपियों को एक साथ गिरफ्तार करने के लिए पहुंची। पुलिस जब आरोपी सुधीर दास को घर लेने पहुंची तो आरोपी भागने की फिराक में था। वह गाड़ी में बैठकर अपने कैंपस से बाहर निकल रहा था, तभी पुलिस की टीम ने आगे से आकर गाडी अड़ा दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। जमीन के सौदों को करने के लिए दास ने कई कानून तोड़े। कहीं पर गौंड आदिवासी बनकर जमीन का सौदा किया। कहीं पर स्वयं को ईसाई दर्शाया है।

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