भोपाल । मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के पास 20 हजार शिक्षकों की जानकारी नहीं है। बीते साल लापता शिक्षकों की संख्या करीब 16 हजार थी, यह संख्या चालू साल में कम होने के बजाय और बढ गई है। अभी तक विभाग के पास 20 हजार शिक्षकों की जानकारी नहीं है। साल 2020 में 16 हजार 215 शिक्षकों को विभाग तलाश नहीं कर पाया था। साल भर बाद भी विभाग का शिक्षा पोर्टल अपडेट नहीं हो पाया है। इस वजह से शिक्षकों की सही जानकारी विभाग के पोर्टल पर नहीं है।
पिछले साल लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) द्वारा संयुक्त संचालकों को एक पत्र भी जारी किया गया था। इसके बावजूद विभाग अब तक शिक्षकों को ढूंढ नहीं पाया है। सत्र 2018-19 में 3,20,440 शिक्षक पोर्टल पर दर्ज थे। वहीं 2019-20 में शिक्षकों की संख्या 3,04,225 दर्ज है। सत्र 2020-21 में शिक्षकों की संख्या कुछ बढ़ी। इस साल भी पिछले साल से चार हजार शिक्षकों की संख्या कम है। इतने शिक्षकों के पोर्टल से गायब होने से विभाग यह पता लगाने में असमर्थ है कि ये शिक्षण कार्य ठीक कर भी रहे हैं या नहीं। सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को फिर से पोर्टल अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
अशोक नगर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने 2010 से बिना किसी सूचना के लंबे समय से लगातार अनुपस्थित शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शिक्षा पोर्टल पर हर शिक्षक की जानकारी अपलोड करनी थी, लेकिन नियमित शिक्षकों की जानकारी आईएफएमएस के जरिए अपलोड हो रही है, लेकिन अध्यापक संवर्ग से जो शिक्षा संवर्ग में शामिल हुए हैं उनका आईएफएमएस पोर्टल खुल नहीं रहा है। इस कारण प्रदेश के करीब 20 हजार शिक्षकों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज नहीं है। साथ ही कई शिक्षकों के एम्प्लायी कोड जनरेट नहीं हुए हैं। इस कारण भी पोर्टल पर दर्ज नहीं हो रहा है। पोर्टल पर शिक्षकों की जानकारी अपडेट न होने से शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों से शिक्षक स्थानांतरण कराकर आ गए हैं।
इस कारण शहरी क्षेत्रों में अतिशेष शिक्षकों की संख्या बढ़ गई है। प्रदेश में करीब छह हजार अतिशेष शिक्षक हैं, जिन्हें अब तक पदस्थापना नहीं मिली है। भोपाल जिले के डीईओ ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर करीब 145 पद स्वीकृत करने की मांग की है। विभाग पोर्टल पर इतने पद स्वीकृत कर अपडेट करना होगा। गायब शिक्षिकों के बारे में बता दें, कि इनमें ज्यादातर ऐसे शिक्षक हैं, जिनका चयन कहीं और हो गया है और कुछ की मृत्यु भी हो चुकी है और कुछ प्रतिनियुक्ति पर किसी दूसरे विभाग में अटैच हैं। विभाग ने कई सालों से पोर्टल पर शिक्षकों की संख्या को अपडेट नहीं किया है।