नई दिल्ली। बॉलीवुड में ड्रग्स और नशे का कारोबार लगातार बढ़ते जारहा है। बॉलीवुड के नशे की कारोबार अब आतंकवाद तक पहुंच चुकी है। अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट बॉलीवुड पर पूरी तरीके से कब्ज़ा कर चुका है। मुंबई-गोआ-दिल्ली ड्रग्स के बाज़ार के बड़े केंद्र हैं। मुंबई में बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट अपना ड्रग्स का कारोबार चलाता है। इनका सीधा संबंध आतंकी संगठन और उसके आकाओं से होता है। ड्रग्स का जहर अब टीवी इंडस्ट्री में भी घुस गया है। ड्रग्स के नशे से आतंकवादियों के हाथ मजबूत हो रहे हैं। ड्रग्स, बॉलीवुड, राजनीति और अंडरवर्ल्ड। क्या यह कोई पहेली है? जांच एजेंसियों की मानें तो ये सब आपस में जुड़े हुए हैं। इन सबको जोड़ने वाली कड़ी है नारकोटिक्स। नशीली दवाओं का कारोबार महाराष्ट्र, खास कर मुंबई में काफी फैल गया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) सूत्रों का दावा है कि कोकीन लेने वालों की सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है और मुंबई कोकीन व्यापार की राजधानी है। मुंबई पहुंचने वाली ड्रग्स में छह फीसदी नशीली दवाएं भी पकड़ में नहीं आती हैं। मुंबई के अलावा पुणे, ठाणे, औरंगाबाद और कोंकण क्षेत्र के कुछ जिले नशीली दवाओं का आकर्षक बाजार बन गए हैं।
‘कोकीन की राजधानी’ के रूप में मुंबई इसलिए उभर रही है क्योंकि लैटिन अमेरिकी गिरोह अपने ठिकाने भारत में शिफ्ट कर रहे हैं। समुद्र, वायु और सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी और बॉलीवुड की मौजूदगी के कारण मुंबई स्वाभाविक पसंद है। यहां हेरोइन, मारिजुआना और मेथामफेटामाइन (मेथ, एमडी या म्याउ नाम से भी जाना जाता है) की खपत भी काफी होती है। कुछ समय पहले तक छिप कर चलने वाला यह बाजार अब खुले तौर पर काम कर रहा है।
नशीले पदार्थों की जब्ती में शामिल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक सूत्र बताते हैं, “हर तबके के लोग अवैध तरीके से ड्रग्स खरीदने के लिए मोटी रकम दे रहे हैं। इस कारोबार की इतनी परतें होती हैं कि भंडाफोड़ करना मुश्किल है। नशा करने वालों को जो लोग ड्रग्स बेचते हैं उन्हें मालूम नहीं होता कि यह कहां से आ रही है।” मेथ एक शक्तिशाली सिंथेटिक ड्रग है जिसे रसोई में स्टोव और कुछ घरेलू सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया जा सकता है। इसे ‘प्रेशर कुकर’ दवा भी कहते हैं। इससे तुरंत और तेज नशा होता है। ग्लैमर की दुनिया का एक बड़ा वर्ग कथित तौर पर “मूड लिफ्टर” के तौर पर इस तरह के ड्रग्स का इस्तेमाल करता है। बॉलीवुड के एक अंदरूनी सूत्र के अनुसार वे ऐसे अभिनेताओं को जानते हैं जो क्रैक कोकीन के साथ हेरोइन मिलाकर लेते हैं। इसे “स्पीडबॉलिंग” कहा जाता है। बॉलीवुड की घरेलू पार्टियों में आम है।
ईडी के सूत्र का कहना है कि कोविड-19 के बाद फिल्में कम हुई तो नकद पैसे का आना भी कम हो गया। ऐसे में कई अभिनेताओं, निर्देशकों और निर्माताओं समेत बॉलीवुड के अनेक लोग नशीले पदार्थों के कारोबार में लग गए हैं। आर्यन खान की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, “एनसीबी का रवैया मुद्दे को गंभीरता से लेने के बजाय मीडिया में अपनी छवि चमकाने का है। ईडी ने भी ड्रग्स बरामद किए और कुछ बड़े नामों पर छापेमारी भी की है, लेकिन हम उसे सार्वजनिक नहीं करते। यदि एनसीबी वाकई गंभीर है, तो उसे राजनीतिक दलों के लोगों की मदद लेने के बजाय मुखबिरों का नेटवर्क बनाना चाहिए।”
पुणे में रहने वाली आरटीआइ कार्यकर्ता विनीता देशमुख कहती हैं, “बॉलीवुड, नेता, अंडरवर्ल्ड और ड्रग्स आपस में जुड़े हुए हैं। इन सबको एक-दूसरे की जरूरत है।” पूर्व पत्रकार देशमुख ने 1990 के दशक की शुरुआत में पुणे में तब ड्रग्स लेने वालों पर काम किया, जब स्वयंभू भगवान रजनीश वहां पहुंचे और उनके बाद नशे की भी शुरुआत हुई। देशमुख कहती हैं, “अभी यह जिस तेजी से फैल रहा है, वह दिमाग हिला देने वाला है।”
मुंबई क्राइम ब्रांच के एक सूत्र के अनुसार उपलब्धता, सामर्थ्य, पहुंच और लोगों के रवैये से नशे का कारोबार चल रहा है। वे बताते हैं, “सड़कों पर जो दिखता है, वह झुग्गियों के अंदर इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स का एक छोटा हिस्सा भर है। यह व्यापार इतना व्यवस्थित है कि इसे भेदना मुश्किल है। स्थानीय नेताओं की कृपा से यह हमेशा रहेगा।”
चुनावी फायदे के लिए स्थानीय बाहुबलियों पर राजनीतिक दलों की निर्भरता देखते हुए सुधार की उम्मीद क्षीण है। कहा जाता है कि भगोड़े दाऊद इब्राहिम समेत अंडरवर्ल्ड अपने बाहुबल का इस्तेमाल कर पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हेरोइन भारत भेजता है। इन दोनों देशों में अच्छी क्वालिटी की हेरोइन मिलती है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के स्रोत बताते हैं कि स्थानीय राजनीतिक नेटवर्क इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वह डी कंपनी के ड्रग्स कारोबार का अभिन्न अंग है।
ईडी के सूत्र कहते हैं, “मुंबई में ड्रग्स से पैसा रियल एस्टेट कारोबार में जाता है। कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, फिल्म फाइनेंसिंग और शेयर बाजार में अंडरवर्ल्ड की बड़ी मौजूदगी है। सबसे ज्यादा पैसा ड्रग्स से ही आता है। मुंबई इसका सबसे बड़ा बाजार है।” उन्होंने कहा, “एनसीबी के लोग उतने कुशल नहीं। वे ड्रग्स इकोनॉमी की जटिलता को नहीं समझते।”
अंडरवर्ल्ड गलत तरीके से कमाए पैसे को मुंबई में झुग्गी बस्तियों के पुनर्वास और पुनर्विकास परियोजनाओं में लगा रहा है। चेंबूर (मध्य मुंबई) में छोटा राजन कथित तौर पर पत्नी सुजाता निखलजे के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ी खाली करवाने में बिल्डरों की मदद कर रहा है। दूसरी तरफ, भिंडी बाजार में महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास योजना अटकी हुई है, क्योंकि दाऊद इब्राहिम के कहने पर वहां के मुस्लिम रहवासी जगह खाली करने से मना कर रहे हैं।
राजनीतिक और पुलिस हलकों में सब जानते हैं कि दक्षिण मुंबई की महत्वपूर्ण पुनर्विकास योजनाओं को प्रभावित करने में दाऊद और छोटा शकील जैसे माफिया डॉन की भूमिका होती है। उन्होंने न सिर्फ कुछ उम्मीदवारों के चुनाव अभियान का खर्चा उठाया, बल्कि भारत के सबसे अधिक बजट वाले नगरीय निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की विभिन्न समितियों में भी अपने लोग बिठा दिए हैं। पूरी मुंबई में प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर, निर्माण और विकास परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार इस समिति के पास है। ठाणे क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी कहते हैं, “मुंबई के बाद ठाणे नशीले पदार्थों का सबसे बड़ा हब है। मुंबई अंडरवर्ल्ड यहां स्थानीय गैंगस्टरों के जरिए काम कर रहा है।”
अंडरवर्ल्ड बिल्डरों और ठेकेदारों को बाजार में प्रचलित ब्याज दरों की तुलना में कम ब्याज दरों पर नकद पैसे देकर परियोजनाओं में अपने लिए जगह बनाते हैं। बिल्डर भारी वेतन और दूसरे तरह के फायदे पहुंचा कर सेवानिवृत्त आइपीएस और पूर्व नौकरशाहों को नियुक्त कर रहे हैं ताकि वे परियोजनाओं को मंजूरी दिला सकें। स्थानीय नेताओं को स्वाभाविक तौर पर इसका लाभ मिलता है। वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नशीले पदार्थों के व्यापार से भी जुड़े होते हैं। यह गठजोड़ खत्म होने के बजाय और मजबूत होता जा रहा है। एक पूर्व ‘एनकाउंटर विशेषज्ञ’ कहते हैं, “राजनीतिक आकाओं के आशीर्वाद से पुलिस बल का इतना अपराधीकरण हुआ है। बदले में उन्हें अंडरवर्ल्ड का साथ मिलता है। जब वे अंडरवर्ल्ड की मदद लेंगे, तो उन्हें भी उनकी मांगें माननी ही पड़ेंगी।”