नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में दीवाली की रात की गई आतिशबाजी का असर शुक्रवार सुबह देखने को मिला जब लोगों को गले तथा आंखाें में जलन की समस्या का सामना करना पड़ा ।
उच्चतम न्यायालय के प्रतिबंध के बावजूद त्योहार मनाने की सनक के कारण छोड़े गए पटाखों से राजधानी दिल्ली के अनेक हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत ही खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है और सुबह आसमान में प्रदूषक तत्वों एवं धुएं की मोटी चादर छाई रही । जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की सांद्रता 999 प्रति क्यूबिक मीटर पर मापी गयी जबकि पड़ोसी शहर फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुड़गांव और नोएडा में यह 400 प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक रही।
केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार, रविवार तक वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना नहीं है। सफर के मुताबिक, रविवार शाम तक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता में सुधार नहीं होगा। हालाँकि, इस सुधार में काफी उतार चढ़ाव रहेगा। सफर के अनुसार दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार सात नवंबर तक खराब रहेगी। हालांकि इसमें धीरे धीरे सुधार होगा लेकिन अभी दिल्ली का वातावरण बहुत ही प्रदूषित है।
सफर ने बताया कि पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद अधिकतर क्षेत्रों में लोगों ने आतिशबाजी की और खेतों में पराली जलाए जाने के कारण भी प्रदूषण में इजाफा हुआ है। शून्य से 50 के बीच में वायु गुणवत्ता सूचकांक अच्छा माना जाता है जबकि 51 और 100 के बीच में संतोषजनक’ स्थिति, 101 और 200 को ‘मध्यम’ स्थिति, 201 और 300 को ‘खराब’ स्थिति, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ स्थिति और 401 और 500 को ‘गंभीर’ स्थिति में माना जाता है।