देहरादून ! उत्तराखंड में लागू राष्ट्रपति शासन पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कड़ा रुख अख्तियार किया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं है और गलती उनसे भी हो सकती है। राष्टपति के आदेश को राजा का आदेश नहीं माना जा सकता। पीठ ने कहा, पूर्ण शक्ति किसी को भी भ्रष्ट कर सकती है और राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं। ऐसे में उनके फैसलों की समीक्षा हो सकती है।
अदालत इस मामले में गुरुवार को फैसला सुना सकती है। पीठ ने कहा कि सभी आदेशों की न्यायिक समीक्षा का अधिकार न्यायालयों के पास है। याचिकाकर्ता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के विधेयक स्वीकृत कहने और राज्यपाल के विवादित कहने से राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी पूछा कि राष्ट्रपति शासन लागू करने से संबंधित कैबिनेट नोट को ‘गोपनीय क्यों रखा गया हैÓ और इस पर कोर्ट में चर्चा क्यों नहीं हो सकती या इसे याचिकाकर्ता (रावत) को क्यों नहीं दिया जा सकता। रावत के अधिवक्ता ने कहा कि कर्नाटक के एस.आर. बोम्मई मामले में गोपनीय दस्तावेज का जिक्र किया गया है।