भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को जानने-समझने वाले उपचुनाव के टिकट के एलान को सिर्फ उम्मीदवारी की घोषणा नहीं मान रहे। विश्लेषक और प्रदेश में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति को समझने वाले इन टिकटों में छुपा संदेश पढ़ रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस का मतलब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही है। कहा जा रहा है कि सभी टिकटों में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की मर्जी ही चली है। चर्चित खंडवा लोकसभा सीट का टिकट इसका सीधा एलान माना जा रहा है।
खंडवा सीट पर टिकट पाने वाले राजनारायण सिंह सिर्फ दिग्विजय के करीबी ही नहीं, बल्कि अरुण यादव के विरोधी भी माने जाते हैं। टिकट के चयन से पूर्व की रस्साकशी और घोषणा के साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को नाथ और दिग्गी की जोड़ी ने मध्यप्रदेश की राजनीति में पीछे धकेलने का बड़ा दांव खेल दिया है। चार दिन पहले तक खंडवा लोकसभा सीट से अरुण यादव का टिकट तय माना जा रहा था। इससे पहले सुरेंद्र सिंह शेरा और यादव के बीच टिकट को लेकर रस्साकशी भी चली। तीन दिन पहले यादव ने कदम पीछे खींचे तो सामान्य तौर पर माना ये जा रहा था कि शेरा को टिकट मिल जाएगा। हालांकि सूची में उन राजनारायण का नाम आया जो कभी राजनीतिक मंचों से ही अरुण यादव का विरोध कर चुके हैं।
खंडवा लोकसभा सीट से लंबी खींचतान के बाद आखिरकार कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली से प्रत्याशी के नाम का एलान कर दिया। कांग्रेस ने तीन बार के विधायक रहे 70 वर्षीय राजनारायण सिंह पर विश्वास जताया है। पार्टी ने 15 साल बाद किसी सामान्य सीट पर सामान्य उम्मीदवार को ही टिकट दिया है। मांधाता से तीन बार विधायक रहे राजनारायण सिंह पुरनी 22 साल बाद चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वे कांग्रेस की अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह की सरकार में विधायक रहे है। कांग्रेस पार्टी ने 2020 के मांधाता उपचुनाव में पुरनी के बेटे उत्तमपाल सिंह को ही टिकट दिया था। लेकिन वे भाजपा नारायण पटेल से 22 हजार वोटो से हार गए थे। बेदाग छवि और बेबाकी से बोलने वाले पुरनी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं और ऐसे में खंडवा सीट पर कांग्रेस की जीत का दारोमदार दिग्विजय सिंह पर होगा।
कांग्रेस ने राज्य की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। ये सीट बृजेंद्र सिंह के निधन के बाद ही खाली हुई थी। वे यहां से पांच बार विधायक भी रह चुके हैं। कांग्रेस सहानुभूति लहर पर सवार होकर नितेन्द्र सिंह के जरिए चुनाव जीतने की तैयारी में है। पूसा इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कर चुके नितेंद्र सिंह ओरछा में होटल अमरमहल का संचालन करते हैं। 2015 के नगर परिषद ओरछा चुनाव में नितेंद्र सिंह ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जोरदार जीत हासिल की थी। इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में भी नितेंद्र ने पिता बृजेन्द्र सिंह राठौर के समर्थन में सक्रिय भी सक्रिय रहे। इसके बाद लगातार स्थानीय राजनीतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहे।
जोबट विधानसभा सीट से कांग्रेस ने महेश पटेल को अपना उम्मीदवार तय किया है। पटेल आलीराजपुर के जिला अध्यक्ष हैं और क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं। पहले सीट से पूर्व विधायक सुलोचना रावत प्रबल दावेदार थीं, लेकिन उनके पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने के बाद महेश पटेल ही टिकट के एक मात्र दावेदार बचे थे। महेश के परिवार को राजनीतिक तौर पर दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। महेश पटेल के पिता वेस्ता पटेल भी कांग्रेस के विधायक रहे हैं। उनके भाई मुकेश पटेल फिलहाल अलीराजपुर से विधायक हैं। इसके पहले वे आलीराजपुर सीट से विधायक का चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के नागर सिंह चैहान से चुनाव हार गए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महेश पटेल के बजाय उनके भाई मुकेश पटेल को टिकट दिया और वह अलीराजपुर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने।
कांग्रेस ने जिला पंचायत सतना के वार्ड नंबर दो से जिला पंचायत सदस्य कल्पना वर्मा को कांग्रेस ने रैगांव उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया हैं। कल्पना 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की उम्मीदवार रही हैं। तब वे भाजपा के जुगुल किशोर बागरी से 18 हजार मतों के अंतर से हार गई थीं। ढाई दशक में यह पहला मौका था, जब रैगांव में कांग्रेस दूसरे नंबर तक पहुंची थी। बताया जाता है कि कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट में कल्पना का नाम सबसे आगे था। वैसे कल्पना को अजय सिंह राहुल भैया का करीबी माना जाता है। लेकिन हाल फिल्हाल में उन्हें कमलनाथ के गुट का माने जाने लगा है। पिछली बार अजय सिंह राहुल ने कल्पना के पक्ष में जबरदस्त लॉबिंग की थी।
विधानसभा उपचुनाव और खंडवा लोकसभा सीट के लिए प्रदेश में 30 अक्तूबर को वोटिंग होगी। दो नवंबर को मतगणना होगी। खंडवा लोकसभा सीट पर सांसद नंदकुमार सिंह चैहान के कोरोना से निधन होने पर सीट खाली हुई थी।