नोएडा। नोएडा में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। एक व्यक्ति के दिल ने 3 साल पहले धड़कना बंद कर दिया। उसका दिल अचानक धड़कने लगा। तीन साल से शख्स आर्टिफिशियल दिल के सहारे जिंदा था लेकिन बाद में उसे भी निकाल लिया गया। पूरे मामले ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया है। डॉक्टरों के मुताबिक यह भारत में अपने आज का पहला मामला है। इतना ही नहीं अब तक पूरी दुनिया में ऐसे 2 से 3 मामले ही सामने आए हैं जब किसी दिल के मरीज ने काम करना बंद कर दिया हो और उसे मशीन का सहारा दिया गया हो लेकिन बाद में मशीन को हटा लिया गया। यह मामला नोएडा के फोर्टिस हार्ट एंड वैस्‍कुलर इंस्‍टीट्यूट में सामने आया। इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ। अजय कौल ने मीडिया को जानकारी दी है कि यह व्‍यक्ति इराक का नागरिक है। उसका नाम हनी जवाद मोहम्‍मद है। वह 2018 में यहां आया था। वह चल फिर नहीं पाता था। वह बेड पर ही र‍हता था। हृदय ट्रांसप्‍लांट के लिए दिल मिलना आसान नहीं था। ऐसे में डॉक्‍टरों ने उसकी जान बचाने के लिए आर्टिफिशियल दिल यानी वेंट्रिकल असिस्‍ट डिवाइस उसके लगा दी।   डॉक्टरों के मुताबिक पिछले तीन साल से शख्स आर्टिफिशियल दिल के सहारे जिंदा था। तीन साल बाद अचानक चमत्कार हुआ। दिल फिर से काम करने लगा है। अब उसे आर्टिफिशियल हार्ट की जरूरत नहीं है। उसे आर्टिफिशियल हार्ट लगाने के दो हफ्ते बाद अस्‍पताल से छुट्टी दी गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि इलाज के बाद मरीज इराक चला गया। हालांकि हर छह महीने में उन्‍हें चेकअप के लिए यहां आना होता है। डॉक्‍टरों के मुताबिक आर्टिफिशियल हार्ट यानी एलएवीडी छाती के अंदर लगाई जाती है। इस मशीन का तार शरीर से बाहर रहता है। इसके लिए छाती में छेद किया जाता है। यह मशीन बैटरी से चलती है, जिसे चार्ज करना पड़ता है। ऐसे में रोजाना ड्रेसिंग भी की जाती है। डॉक्‍टरों ने बताया कि जब वह भारत आए और हमने उनकी जांच की तो पता चला कि उनका दिल पूरी तरह से ठीक हो चुका है। इसके बाद मशीन की स्‍पीड को घटा दिया गया, लेकिन यह मशीन लगी रहने दी। डॉक्‍टरों ने दो साल तक निगरानी रखी और अंत में अब उनका आर्टिफिशियल हार्ट निकाल दिया गया है। 

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