भोपाल। अवैध और विषैली शराब निर्माण तथा अन्य प्रयोजनों में मेथानॉल और अन्य विषैले रसायन के उपयोग पर प्रभावी रोक लगाने के लिये राज्य शासन द्वारा अनेक ठोस एवं सख्त कदम उठाए गए हैं। गृह विभाग ने विष अधिनियम-1919 (केन्द्रीय कानून) और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित विष नियम-2014 का सख्ती से पालन कराने के निर्देश सभी कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षक को जारी किए है। अब नियमों में अधिसूचित सभी प्रकार के विष पदार्थों के विक्रय के लिये जिला कलेक्टर से अनुज्ञप्ति प्राप्त करना बंधनकारी होगा। नियमों के उल्लंघन पर एक वर्ष की सजा होगी।

अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि जिला कलेक्टर द्वारा जारी अनुज्ञप्ति में विषैले पदार्थों के विक्रय स्थल, उनके भण्डारण की अधिकतम मात्रा, सुरक्षा उपाय, किनको विक्रय किया जा रहा है, विषैले पदार्थो के भण्डारण करने की विधि, स्टॉक पंजी, विक्रय पंजी के संधारण की अनिवार्यता, विष को लेबल करने और परिवहन के समय किए जाने वाले उपाय का उल्लेख होगा। अनुज्ञप्ति की शर्तों का पालन करना वैधानिक रूप से अनिवार्य रहेगा।

अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजौरा ने बताया कि जिला कलेक्टर परिसरों की जाँच के लिए सर्च वाँरन्ट जारी कर सकेंगे। ए.एस.आई और नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी स्टॉक और विक्रय पंजी की जाँच कर सकेंगे। विष अधिनियम या विष नियम का पालन नहीं करने पर एक वर्ष की सजा का प्रावधान है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विगत दिनों अवैध शराब निर्माण में औद्योगिक और अन्य प्रयोजनों में इस्तेमाल होने वाले मेथानॉल और अन्य विषैले रसायन आदि का उपयोग होने से शराब विषैली हो गयी थी और जन हानि हुई थी। मुरैना, उज्जैन और मंदसौर में जहरीली शराब में मेथानॉल की मात्रा पायी गयी थी। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य शासन द्वारा अनेक ठोस कदम उठाये गये हैं।

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