छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव में साढ़े तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी 24 वर्षीय शेखर कोर्राम को फांसी की सजा सुनाई है। जिले में संभवतः यह पहला मामला है, जब किसी को मौत की सजा सुनाई गई हो।
दरअसल यह मामला राजनांदगांव के कोतवाली क्षेत्र में चिखली के एक गांव कांकेतरा का है। पिछले साल 22 अगस्त को एक बच्ची लापता हो गई थी। परिवार वालों ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने जब छानबीन की, तो पता चला कि घर से करीब 100 मीटर दूर रहने वाले शेखर कोर्राम को उसके साथ देखा गया था।
इसके बाद पुलिस ने शेखर को संदिग्ध मानकर उसे हिरासत में लेकर घर की तलाशी ली। तलाशी के दौरान वहां पलंग और दीवार के बीच बच्ची का शव बरामद हुआ। पूछताछ में शेखर ने बताया कि वह बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर साथ ले आया था। दुष्कर्म के बाद बच्ची ने शोर मचाया तो उसने तकिए के कवर से उसका मुंह दबाकर हत्या कर दी। शव को ठिकाने लगाता इससे पहले ही पुलिस ने शेखर को पकड लिया।
फास्ट ट्रैक एडीजे कोर्ट ने एक साल तक चली सुनवाई के बाद 13 सितम्बर को शेखर कोर्राम को मौत की सजा सुनाई। जस्टिस शैलेष शर्मा ने जजमेंट में लिखा कि यह समाज के लिए घृणित हरकत और कलंक है। फैसले से मौत के बाद ही सही, लेकिन बच्ची को न्याय मिलेगा। लोक अभियोजक परवेज अख्तर का दावा है कि पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट में प्रदेश में पहली बार किसी को फांसी की सजा हुई है।