दमोह. मध्य प्रदेश के दमोह जिले में कोरोना के बाद अब डेंगू का खतरा बढ़ता जा रहा है. प्रशासन ने 100 लोगों के सैंपल लिए. इनमें से 15 लोगों की रिपोर्ट में डेंगू पाया गया. मलेरिया विभाग डेंगू से एक मौत की पुष्टि कर रहा है, जबकि तीन अन्य संदिग्ध मौते भी हुई हैं. डेंगू के अधिकतर मामले जिला मुख्यालय पर ही मिल रहे हैं.
दूसरी ओर, डेंगू के लार्वा से निपटने के लिए मलेरिया विभाग ने गंबूशिया मछली का सहारा लिया है. विभाग ने पुरैना तालाब से गंबूशिया मछली को उन जगहों के पानी में छोड़ा है, जहां डेंगू के मरीज पाए गए. गंबूशिया मछली ड़ेंगू के अंडों एवं लार्वा को बड़े चाव से खाती है. इससे डेंगू के मच्छरों से छुटकारा पाया जा सकता है. इस मसले पर मलेरिया विभाग दवा का छिड़काव फिलहाल नहीं करवा रहा. इस मामले पर दमोह के रीजनल मेडिकल ऑफिसर दिवाकर पटेल से बात की गई तो उन्होंने एक मरीज की डेंगू से मौत की पुष्टि की.
मध्य प्रदेश पर कोविड, ब्लैक फंगस और डेंगू के बाद स्क्रब टाइफस बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. इस बीमारी का शिकार हुए एक 6 साल के बच्चे भूपेंद्र नोरिया की जबलपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. रायसेन के इस बच्चे ने 15 अगस्त को अस्पताल में दम तोड़ा था. नोरिया में स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई है. इस बीमारी में व्यक्ति को पहले ठंड लगती है और फिर बुखार आता है. समय पर इलाज न कराने पर यह बिगड़ जाता है. इस वजह से मरीज को निमोनिया या इंसेफलाइटिस हो जाता है. वह कोमा में भी जा सकता है. यह बीमारी जुलाई से अक्टूबर के बीच अधिक फैलती है.
जबलपुर मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट के मुताबिक, इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को लगता है कि उसे वायरल फीवर है. लेकिन बाद में यह गंभीर रूप ले लेती है. इसे रिकेटसिया नाम का जीवाणु फैलाता है. ये जीवाणु पिस्सुओं में होता है. ये पिस्सू जंगली चूहों से इंसानों तक पहुंचते हैं. इसी पिस्सू के काटने से जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाता है.