मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा से विधायक एवं कांग्रेस नेता बैजनाथ कुशवाहा के खिलाफ हत्या का मुकदमा कायम किया गया है। कोर्ट ने विधायक का वारंट जारी कर दिया है। विधायक का कहना है कि कोर्ट का फैसला गलत है, मैं हाईकोर्ट में चुनौती दूंगा।
दिसंबर 2015 को विधायक बैजनाथ कुशवाह के छोटे भाई हरीसिंह कुशवाह की पत्नी अंगूरी कुशवाह का शव खेत में मिला था। मृतका अंगूरी के भाई गोरेलाल कुशवाह ने इसे लेकर सबलगढ़ कोर्ट में परिवाद पेश किया। इसमें कहा गया कि 50 वर्षीय विधायक बैजनाथ पुत्र पुन्नाराम कुशवाह, विधायक के बड़े भाई 53 वर्षीय दर्शनलाल कुशवाह, 60 वर्षीय लक्ष्मीनारायण कुशवाह, 45 वर्षीय छोटे भाई लाखन कुशवाह के अलावा परिवार के अन्य सदस्य 35 वर्ष्ाीय बदन सिंह पुत्र केदार सिंह कुशवाह, 40 वर्षीय त्रिवेणी पत्नी लाखन कुशवाह और 20 वर्षीय रेणू पत्नी वीरू कुशवाह ने मिलकर उसकी बहन अंगूरी की चरित्र संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर शव खेत के कुएं में फेंक दिया था।
पहले इस मामले में हरीसिंह पर ही मामला दर्ज हुआ था, लेकिन सबलगढ़ कोर्ट के सामने परिवाद की सुनवाई के दौरान जो सबूत सामने आए, उनमें विधायक बैजनाथ कुशवाह सहित परिवार के सात सदस्यों को अंगूरी की हत्या का दोषी माना है। कोर्ट ने इन सातों आरोपितों पर 302 का मामला दर्ज करने व गिरफ्तारी वारंट जारी करने का फैसला सुनाया। आठ अक्टूबर को विधायक व अन्य आरोपितों को कोर्ट के सामने पेश होने को कहा है।
कोर्ट के फैसले में पुलिस की जांच को भी आड़े हाथ लिया गया है। दरअसल जिस दिन अंगूरी की हत्या हुई थी, तब उसका आठ साल का बेटा कुनाल उर्फ गोलू प्रत्यक्षदर्शी था, जो बैजनाथ कुशवाह व अन्य पर अपनी मां की हत्या के आरोप लगाता रहा, उस पर पुलिस ने आरोपितों को एफआइआर से बचा लिया।
पुलिस की लापरवाही इस हद तक थी कि गोलू के बयान घटना के ढाई महीने बाद 25 फरवरी 2016 को लिए गए। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। मृतका की बेटी भारती ने डीजीपी से शिकायत की, इस शिकायत की जांच तात्कालीन एएसपी ने की, जिन्होंने गोलू के अलावा मृतका की बेटी भारती, आरती व कुलदीप के बयान धारा 164 के तहत दर्ज करने के निर्देश जांच अधिकारी को दिए, लेकिन जांच अधिकारी ने मृतका के बच्चों के बयान नहीं लिए। 26 फरवरी 2016 को कोर्ट में चालान पेश कर दिया। अब मृतका के बच्चों और पीएम रिपोर्ट ही विधायक व उनके स्वजनों पर कार्रवाई का आधार बनी है।
विधायक बैजनाथ कुशवाहा का कहना है कि मैंने या मेरे परिवार के किसी सदस्य ने अंगूरी को हाथ तक नहीं लगाया, उस दिन मैं गांव में ही नहीं था। अंगूरी पाइप बांधते समय कुएं में गिर गई। मोटर के स्टैंड पर फंसने से उसे चोटें आईं, जिससे उसकी मौत हुई। राजनीतिक द्वेष के कारण मृतका के भाई ने परिवाद लगाया। उसका परिवाद दो बार पहले कोर्ट में अस्वीकार हो चुका है। तीसरी बार में कोर्ट ने परिवाद स्वीकार किया और यह फैसला दिया, जो सही नहीं है। मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करूंगा।