उज्जैन. मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जयिनी में हर त्योहार का अलग ही आनंद और महत्व है. महाकाल की इस नगरी में जन्माष्टमी की धूम मची हुई है. श्री कृष्ण जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर भारत माता मंदिर के सामने यहां 200 से ज्यादा बच्चों ने एक लय एक ताल में कई धुनों पर बांसुरी बजाई. ये 200 बच्चे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य हैं. इन्हें इस कार्यक्रम के लिए 3 महीने ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया.

गौरतलब है कि आरएसएस जन्माष्टमी पर हर साल कार्यक्रम आयोजित करता है. इस साल भी इस अंदाज में कार्यक्रम किया. कार्यक्रम में आरएसएस के क्षेत्रीय संघचालक अशोक सोहनी मुख्य रूप से शामिल हुए. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभा सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश प्रसाद कहा कि बंसी और शंख श्रीकृष्णा को प्रिय हैं और वे इन्हें बजाते भी हैं. बांसुरी अपने आप में सम्पूर्ण समर्पण का संदेश देती.

प्रसाद ने कहा बांसुरी का संदेश है- भगवान जैसा बजाते है वैसा मैं बजती हूं. बंसी हमें प्रेम का संदेश देती है. कृष्ण जब तक गोकुल में रहे उन्होंने बांसुरी बजाई. किन्तु, जैसे ही कर्म क्षेत्र में आए तो महाभारत के समय पांचजन्य शंख बजाया. प्रसाद ने कहा कि जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि समाज में व्याप्त हर प्रकार की असमानता को खत्म करें, सब एक दिशा में एक साथ देश को आगे बढ़ाएंगे. कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण का केंद्र प्रसिद्ध भजन ‘छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल’ और ‘ॐ नमः शिवाय’ थे. कार्यक्रम में कोरोना के नियमों का पालन किया गया.

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