भोपाल. मध्य प्रदेश पुलिस के बड़े ऑपरेशन में से एक मुस्कान ऑपरेशन में राजधानी भोपाल नंबर 1 है. भोपाल पुलिस ने 118 बच्चों को ढूंढने में कामयाबी हासिल की है. मुस्कान ऑपरेशन सभी जिलों में चलाया गया था, जिनकी रिपोर्ट सामने आ गई है. भोपाल के बाद इंदौर, जबलपुर, और ग्वालियर सहित दूसरे जिलों का नंबर आता है.

सीआईडी की रिपोर्ट में सामने आया है कि भोपाल पुलिस ने गुम हुए 118 बच्चों को ढूंढने में सफलता हासिल की है. यह आंकड़ा सबसे अधिक है. ऑपरेशन मुस्कान के तहत साल 2009 से साल 2021 तक गुम हुए बच्चों को ढूंढा गया. एडीशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि इस ऑपरेशन के तहत और मेहनत की जाएगी. ताकि, लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाई जा सके.

एडीशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि राजधानी भोपाल में लापता बच्चों को ढूंढने में पुलिस की एक अलग टीम काम कर रही है. यह टीम थाना स्तर पर बनाई गई है. रोज इसकी मॉनिटरिंग और समीक्षा की जाती है. यही कारण है कि लगातार मॉनिटरिंग और सुपरविजन की वजह से शहर से लापता हुए बच्चों को प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी वापस उनके परिजन तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
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कोरोना महामारी में भीख मांगकर गुजारा कर रहे पांचों भाई-बहनों को सहारा मिल गया है. इससे पहले ये बच्चे ग्रामीणों की कृपा पर जी रहे थे. माता-पिता की भूमिका निभा रही 10 साल की बच्ची को भाई-बहनों को धूप और बारिश से बचाने के लिए छत की जरूरत थी, तो इस छोटे से परिवार ने श्मशान में अपना आशियाना बनाया था. दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए इन्हें दिनभर जद्दोजहद करनी पड़ती थी. मामला भिंड जिले के लहार के अमाह का है.

इन बच्चों की खबर देखने के बाद कलेक्टर सतीश कुमार एस., पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. इस दौरान पूरा इलाका छावनी बन गया. आंगनबाड़ी की महिलाएं भी पहुंच गईं. उन्होंने मासूम बच्चों को नाश्ता कराया और नए कपड़ों से सजाया. प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी कोरोना की जांच कराई और लहार शिशु गृह भेज दिया. कलेक्टर एसपी बच्चों से मिलने शिशु गृह भी पहुंचे. उन्होंने बच्चों से बात की और वहां के संचालक को बच्चों की देख-रेख के लिए निर्देशित किया.

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