जीवाजी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आयोजित,कुल 555 विद्यार्थियों को गोल्ड मैडल और उपाधियां प्रदान की गईं
ग्वालियर । मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में हमारा देश पहले भी विश्व गुरू का स्थान रखता था। अगर हमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने देश की प्रतिष्ठा को फिर से वापस लाना है तो युवाओं के कौशल, प्रतिभा व ऊर्जा के समन्वित उपयोग के साथ-साथ देश के मौलिक ज्ञान, परंपराओं और क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय पिछडी एवं अन्य जनजातियों के उत्थान के लिये ट्राइबल चेयर की स्थापना करे।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल आज जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के दीक्षांत समारोह में अध्यक्षीय संबोधन दे रहे थे। राज्यपाल मंगूभाई ने विद्यार्थियों से आहवान किया कि वह स्वयं आत्म निर्भर बनें और दूसरों को भी आत्म निर्भर बनाने में मदद करें। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र यह भी संकल्प लें कि भारत माता के लिये हम स्वदेशी अपनाकर अपने देश को आत्मनिर्भर बनायेंगे।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्राचीनकाल में भारत में तक्षशिला एवं नालंदा जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान थे, जिनमें दुनियाभर के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। पर अब हमारे देश के विद्यार्थी विदेश में शिक्षा प्राप्त करने जाते हैं। देश के शैक्षणिक वैभव को फिर से हासिल करने के लिये हमें समन्वित प्रयास करने होंगे। पटेल ने इस अवसर पर यह भी कहा कि दीक्षांत समारोह भारत की प्राचीन परंपरा है। प्राचीनकाल में शिक्षा पूर्ण होने पर वैदिक सूक्तों के पाठ द्वारा देवताओं का आह्वान कर विद्यार्थियों को अंतिम उपदेश अर्थात दीक्षांत उपदेश दिया जाता था।
राज्यपाल पटेल ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि आप सबने अपनी तपस्या से ज्ञान का जो दीपक जलाया है, इससे आपको सत्य-असत्य, शिव-अशिव, सुंदर-असुंदर के बीच का अंतर समझ में आयेगा। उन्होने कहा कि आप सबकी भावी जिंदगी की राह आसान होगी। उन्होंने कहा भारतीय संदर्भों में यह उपदेश सर्वदा से प्रासंगिक है कि यदि हम सच्चे मन से ज्ञान को आत्मसात करें, तो जीवन में सफलता तय है। उन्होंने कहा कि आज का दिन आप सबके लिये जितना महत्वपूर्ण है उतना ही उन शिक्षकों व अभिभावकों के लिये भी है जिन्होंने आपके जीवन को उज्ज्वल बनाने में योगदान दिया।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा पिछडी एवं जनजातियों के कल्याण के लिये किए जा रहे प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त की। साथ ही कहा कि इन वर्गों के शैक्षणिक उत्थान के लिये विश्वविद्यालय में ट्रायबल चेयर की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय में हो रहे पर्यावरण संरक्षणए सामाजिक सरोकारए टीकाकरण में सहयोग, आयुर्वेदिक परंपराओं का प्रसार, शोध अनुसंधान और 22 टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स तैयार करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान देने के लिये महाराज जीवाजीराव सिंधिया का स्मरण भी किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने दिल्ली से वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1964 में जीवाजी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। विश्वविद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में बडे-बडे आयाम स्थापित किए हैं। यहाँ पर पढे छात्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्वालियर का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि हमारे अंदर ग्वालियर, जीवाजी विश्वविद्यालय और प्रदेश के प्रति गर्व का भाव सदैव विद्यमान रहें, तभी हम अपने देश पर भी गर्व कर पायेंगे। तोमर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की है। इस समय भारत विश्व का सबसे युवा आबादी वाला देश है। सभी युवा भारत की शक्ति और पूँजी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस कोशिश में हैं कि युवाओं की ऊर्जा का भरपूर उपयोग हो। इसीलिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, खेलो इंडिया व स्टार्टअप इंडिया की बात उन्होंने की है। केन्द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि उपाधि प्राप्त करने बाद आप सब जीवन की नई यात्रा शुरू कर रहे हैं। नए जीवन में आप सब कितनी भी अच्छी आजीविका प्राप्त कर लें पर माता.पिताए गुरूजन और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को न भूलें।
विशिष्टि अतिथि के रूप में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आप सबको मिली यह डिग्री केवल शिक्षा की डिग्री भर नहीं है यह मानवता की डिग्री भी है। इसलिए जीवन पथ पर सदैव सत्य, निष्ठा व समर्पण भाव के साथ आगे बढे । उन्होंने कहा दीक्षांत समारोह एक ऊर्जा प्रदान करने की परंपरा है। सभी विद्यार्थी इस ऊर्जा को आत्मसात कर अपने जीवन की नई यात्रा शुरू करें। उन्होंने कहा निश्चित ही आप सब शिक्षा के तप की बदौलत कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना कर पाने में सफल होंगे। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा खुशी की बात है कि 62 वर्षीय विद्यार्थी ने भी गोल्ड मैडल प्राप्त किया है। इससे साबित हुआ है कि पढाई के लिये उम्र की कोई सीमा नहीं होती। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में पढाई के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं रखी गई है।
जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की अलग ही छटा थी। राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल व सभी विशिष्ट अतिथिगण और प्राध्यापकों सहित उपाधि एवं गोल्ड मैडल लेने आए विद्यार्थी पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में सजधजकर आए थे। अतिथियों की शोभा यात्रा और राष्ट्रगान के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। इससे पहले पारंपरिक रूप से विश्वविद्यालय कार्य परिषद की विशेष बैठक भी हुई।
समारोह का संचालन विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. आनंद मिश्रा ने किया। दीक्षांत समारोह में शिक्षण सत्र वर्ष 2018-19 और 2019-20 के विद्यार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
दीक्षांत समारोह में कुल 555 विद्यार्थियों को गोल्ड मैडल व उपाधियां प्रदान की गईं।
दीक्षांत समारोह में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला तथा विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्यगण मंचासीन थे। वहीं समारोह में संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना, आईजी अविनाश शर्मा, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह व पुलिस अधीक्षक अमित सांघी सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।