जबलपुर। 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लम्बित 6 याचिकाओं के बीच राज्य शासन ने महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव से अभिमत लिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मांगे गए अभिमत पर महाधिवक्ता ने सरकार से कहा है कि जिन याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है उन्हे छोड़ कर शेष पर 27 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है। चूंकि सरकार के समक्ष इस समय अनेक विभाग में नियुक्ति के लिए पद खाली पड़े हैं जिस पर कवायद की जा रही है। इसके चलते यह अभिमत लिया गया है। इसमें महाधिवक्ता ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार 27 फीसदी आरक्षण देने स्वतंत्र है।
बता दें कि हाईकोर्ट द्वारा पीजी नीट वर्ष 2019-20 में प्रवेश के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू नहीं करने और एमपीपीएससी द्वारा मेडिकल अधिकारी भर्ती से सम्बधित याचिका में अंतरिम आदेश पारित कर विज्ञापन अनुसार भर्ती करने तथा न्यायालय की अनुमति बिना रिजल्ट नहीं घोषित करने कहा गया है। इसे विगत 13 जुलाई को हाईकोर्ट न मोटिफाइड कर दिया है। शिक्षक भर्ती याचिकाआं में भी अंतरिम आदेश लागू है। इन प्रकरणों के अलावा अन्य किसी विषय पर हाईकोर्ट के यह अंतरिम आदेश लागू नहीं हैं।
इधर ,इस मामले पर सियासत गरम हो गई है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता टीकाराम कोष्टा ने कहा है कि आज पिछड़ों की हितैषी बन रही भाजपा ने कभी इस मामले पर हाईकोर्ट में गंभीरता से जवाब नहीं दिया। कमलनाथ सरकार द्वारा दिए गए इस आरक्षण के खिलाफ स्टे लेने कौन भाजपा वाले किस माध्यम से गए थे यह सर्वविदित है। सरकार ओबीसी सहित एससी और एसटी का आरक्षण समाप्त करने साजिश कर रही है। इसलिए भाजपा को अपना गिरेबां झांकना चाहिए जिसने 17 साल इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया।