रायपुर। सिंधी और राजस्थानी समाज की महिलाओं ने भादो माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पढ?े के कारण सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र तथा खुशहाली और युवतियों ने मनपसंद पति पाने की कामना करते हुए शिव-पार्वती को पूजा।
सिंधी समाज की महिलाओं ने तृतीया तिथि को तिजड़ी पर्व के रूप में मनाया और राजस्थानी समाज की सुहागिनों ने कजली तीज मनाते हुए भगवान शंकर-पार्वती की पूजा कर पति की लंबी आयु की प्रार्थना की। दिनभर निराहार व्रत रखकर रात्रि में पूजा करके चंद्रमा को अघ्य देने के बाद व्रत का पारणा किया। व्रत रखने वाली सुहागिनों एवं कुंवारियों ने झूला झूलने की परंपरा निभाई।
राजस्थानी समाज की सुहििागनों ने सत्ती बाजार स्थित अंबा देवी मंदिर परिसर में कजली तीज उत्सव में झूला झूलने की परंपरा निभाई गई। ऐसी मान्यता हैं कि जब तक महिलाएं झूला नहीं झूलती, तब तक जल ग्रहण नहीं करती हैं और दिनभर निराहार रहकर व्रत करती हैं। वहीं सिंधी समाज की सुहागिनों ने समता कालोनी स्थित माता सावित्री देवी दरबार में तीज पर्व उल्लास से मनाया। दरबार के सेवादारी अमर भाई ने पूजा संपन्न करवाई। व्रतधारी महिलाओं में भावना कुकरेजा, कुमकुम आहूजा, खुशबू आडवाणी, डाली रंगवानी समेत अनेक महिलाओं ने उत्साह से सामूहिक पूजा की।