रायपुर. राजधानी का रायपुर मॉडल स्टेशन निजी हाथों में जाने की कगार पर खड़ा है। इस खबर से रेलवे में हलचल तेज हुई है। रेलवे के जिन सेक्टरों को निजीकरण करने के आंकड़े सामने आए हैं, उनमें देश के 400 स्टेशनों में रायपुर स्टेशन भी शामिल है।
मुख्य वजह बताई जा रही है कि चूंकि रायपुर स्टेशन रेलवे बोर्ड की सूची में ए-1 श्रेणी में दर्ज है तो जाहिर है कि बिलासपुर रेलवे जोन के दूसरे स्टेशनों से सुविधाएं भी अधिक हैं। लिहाजा निजी हाथों में सौंपे जाने पर अच्छा खासा सौदा है। हालांकि नई दिल्ली से आई खबरों के मुताबिक इसी वित्तीय वर्ष से निजी हाथों में देने पर अमल होना है और एक साल का सौदा लगभग 600 करोड़ में होगा।
पिछले 10 दस सालों में एयरपोर्ट की तर्ज पर लुक और सुविधाओं के विस्तार की कवायद चल रही है। निजी हाथों में देने की सूची में रायपुर एयरपोर्ट भी शामिल है। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब रायपुर स्टेशन रेलवे के हाथ से निकल जाने से नहीं रुकेगा। कुल मिलाकर रेलवे के निजीकरण के पहले दौर में सबसे ज्यादा 1.52 लाख करोड़ रुपए रेलवे में हिस्सेदारी बेचकर जुटाने का टारगेट रखा गया है। यानी कि रेल डिवीजन के हाथ में फिर स्टेशन में दखल समाप्त हो जाएगा। यानी कि पार्सल, पार्किंग, टिकट बुकिंग काउंटर, खानपान स्टॉल, कैंटीन, वेटिंग हाल, मल्टी फंक्शनल कांप्लेक्स समेत सबकुछ निजी ठेकेदारों के हाथ में चला जाएगा।
यात्रियों पर पड़ेगा सीधा असर
रेलवे सूत्रों के अनुसार रेलवे स्टेशन निजी हाथों में जाने का मतलब साफ है कि सीधा असर यात्रियों की जेब पर ही पड़ेगा, क्योंकि ठेकेदार अपने तरीके से रेट तय करेगा और दूसरी पार्टियों से अधिक रेट लेकर हर चीज को संचालित करेगा। वहीं लोग फिर यात्रियों से मनमानी तरीके से खानपान से लेकर सुविधा शुल्क की वसूली करेंगे। जिस पर रेलवे प्रशासन का कोई दखल नहीं होगा।
अभी आय 500-550 करोड़ के करीब
पत्रिका पड़ताल में ये भी सामने आया है कि रायपुर ए-1 श्रेणी के स्टेशन से रेलवे को करीब 500 करोड़ का राजस्व विभिन्न स्रोतों से हर साल मिलता है। जिसका दायरा लगातार बढ़ा है। अफसरों का यहां तक कहना है कि भारतीय रेलवे में बिलासपुर रेल जोन राजस्व देने के मामले में 6 नंबर पर है। कभी घाटे में नहीं रहा।