भोपाल। उज्जैन और आगर मालवा में बार-बार रेत खदानों के टेंडर जारी होने के बाद भी नीलामी नहीं हो पा रही है। इन खदानों को अब राज्य सरकार चौथी बार नीलाम करेगी। वहीं प्रदेश के कुल चौदह जिलों में इस बार नहीं उठ पाए रेत खदानों के ठेके अक्टूबर माह में किए जाएंगे। इस बार राज्य सरकार छोटे क्लस्टर बनाकर रेत खदाने ठेके पर देने की तैयारी में है। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नये सिरे से रेत नीति बनाकर लागू की गई थी। राज्य सरकार को उम्मीद थी कि नई नीति से रेत खदानों की नीलामी से राज्य को चौदह सौ पचास करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी हो सकती है। ठेकेदारों ने भी नई नीति आने के बाद प्रतिस्पर्धा दिखाते हुए ऊंची बोली लगाकर रेत खदानों के ठेके ले लिए लेकिन बाद में कम मुनाफे के कारण ये रेत खदाने नहीं चला पा रहे है।
सितंबर में प्रक्रिया होगी शुरू
कुल चौदह जिलों में इस बार राज्य खनिज विकास निगम रेत खदानों के ठेके फिर से देने के लिए सितंबर में निविदा जारी करेगा। इसके बाद अक्टूबर तक इन खदानो के ठेके आवंटित कर दिए जाएंगे। सभी निविदाएं आॅनलाईन ही होगी और सारी प्रक्रिया इसमें आॅनलाईन की जाएगी।
अब छोटे क्लस्टर में ठेके
पूर्व सरकार ने जिला स्तर पर क्लस्टर बनाए थे। इसमें जिले की सभी खदाने एक क्लस्टर में शामिल की गई थी। इसके चलते छोटे ठेकेदार इन रेत खदानों के लिए आवेदन ही नहीं कर पाए थे। इसलिए इस बार जिलो मे भी छोटे-छोटे क्लस्टर बनाकर ठेके किए जाएंगे। इससे अधिक लोग इसके लिए जारी होने वाली निविदा में शामिल हो सकेंगे। इससे कई लोगों को काम मिलेगा। मंत्री समूह ने भी छोटे क्लस्टर बनाकर ठेके देने की सिफारिश की है। वर्ष 2019 में नीलाम हुई खदानों की अवधि पूरी होने के बाद ही वहां के ठेके नई छोटे क्लस्टर पॉलिसी से दिए जाएंगे।
चार ठेकेदारों ने समर्पित की खदाने
मुनाफा नहीं होने से परेशान पन्ना, शाजापुर, रतलाम और भिंड जिले के ठेकेदारों ने तो अपनी रेत खदाने समर्पित कर दी है। अलीराजपुर, मंदसौर, रीवा, रायसेन, छतरपुर, राजगढ़, धार और शिवपुरी में ठेकेदारों ने समय पर ठेका शुल्क जमा नहीं कराया इसलिए इनकी खदाने निरस्त कर दी गई है। छह और ठेकेदार रेत खदाने समर्पित करना चाहते है उन्होंने इसके लिए आवेदन दिए है जिन पर विचार चल रहा है।