नई दिल्ली। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत गठित एक्सपर्ट की कमेटी ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी की है। कमेटी का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर माह में अपने चरम पर पहुंच सकती है। लिहाजा मेडिकल सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत हैं क्योंकि तीसरी लहर में वयस्कों की ही तरह बच्चों पर महामारी का खतरा बराबर है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महामारी के लिए डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, जरूरी उपकरण जैसे वेंटिलेटर, एंबुलेंस आदि की व्यवस्था करने की जरूरत है क्योंकि बड़े पैमाने पर इसकी जरूरत पड़ सकती है।

 बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका है लिहाजा इसके लिए जरूरी इंतजाम करने की जरूरत है। रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी गई है। दिव्यांग बच्चों पर अधिक खतरा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चों में वैक्सीन को प्राथमिकता देने की जरूरत है, साथ ही जो दिव्यांग बच्चे हैं उनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यही नहीं सख्ती के बाद भी अक्टूब माह में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। बता दें कि इसके अलावा भी कई एक्सपर्ट की कमेटी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई है। दरअसल बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं दी गई है ऐसे में उन्हें तीसरी लहर का कितना खतरा है इसपर कमेटी के भीतर चर्चा की गई।

बच्चों पर अधिक खतरा अधिकतर एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों में गंभीर संक्रमण होने की संभावना कम है और ये संक्रमण को दूसरों में स्थानांतरित कर सकते हैं। जिस तरह से लोगों का आवागमन बढ़ा है उससे तीसरी लहर का खतरा बढ़ा है। लेकिन तीसरी लहर दूसरी लहर की तुलना में कम गंभीर होगी। स्टडी में कहा गया है कि कोरोना की तीसरी संभावित लहर के लिए हमे बच्चों पर अधिक खतरे को देखते हुए और भी बेहतर तैयारी करने की जरूरत है। होम केयर मॉडल पर जोर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुझव दिया है कि घर के भीतर बेहतर होम केयर मॉडल एक अच्छा विकल्स साबित हो सकता है अगर कोरोना की तीसरी लहर के दौरान एकदम से मेडिकल जरूरतों की मांग बढ़ती है। दरअसल कोविड वॉर्ड में बच्चों के साथ मेडिकल स्टाफ या फिर घरवालों को रुकने की जरूरत पड़ती है इससे उनके मानसिक स्तर पर असर दिखता है और बच्चों की रिकवरी भी प्रभावित होती है। 

डॉक्टरों की कमी पर जताई चिंता विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर की है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चों के डॉक्टरों की 82 फीसदी कमी है, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 63 फीसदी जगहें खाली हैं। स्थिति पहले ही काफी भयावह है, ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर में अगर लोगों ने जरूरी दिशानिर्देश का पालन नहीं किया तो डॉक्टरों की कमी और टीकाकरण की कमी स्थिति को और भी बदतर कर सकती है।

 बेहतर तैयारी ही बचाव रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैसे कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 60-70 फीसदी बच्चों को जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था उनके भीतर कोरोना के चलते इम्युनिटी कमी दिखी थी, इसकी प्राथमिक वजह थी कि उनके भीतर मल्टी सिस्टम इंन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम की समस्या थी जोकि काफी दुर्लभ है लेकिन गंभीर है, जोकि कोरोना से ठीक होने के बाद बढ़ता है। एनआईडीएम कमेटी के कोऑर्डिनेटर संतुष कुमार ने कहा कि तीसरी लहर के लिए हमे बेहतर तैयारी करने की जरूरत है। राज्यों में कोविड सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है। आईसीयू, बच्चों के डॉक्टरों की संख्या, दवा आदि की किल्लत ना हो इसकी व्यवस्था करनी है। बच्चों के डॉक्टरों की कमी है 

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