भोपाल।  कोरोना संक्रमण का असर स्‍कूलों में छात्रों की प्रवेश संख्‍या पर भी पड़ा है। कोरोना के कारण पिछले दो साल से सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है। इसका कारण यह है कि लोगों की नौकरी चली गई तो कुछ लोगों के वेतन कम हो गए। इस कारण कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का एडमिशन निजी से सरकारी स्कूलों में करा दिया, तो कुछ अपने बच्‍चों की शिक्षा को लेकर अनमने हो गए। यही वजह है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश लेने की संख्या में कमी आई है। जहां 2021 में एक करोड़ 30 लाख बच्चों ने सरकारी व निजी स्कूलों में दाखिला लिया। वहीं 2020 में एक करोड़ 37 लाख बच्चों ने एडमिशन लिया था। यानी इस साल प्रदेश के सरकारी व निजी स्‍कूलों में करीब सात लाख बच्चे कम हुए हैं। इस साल पहली से आठवीं कक्षा तक के सरकारी स्कूलों में 61 लाख तो निजी में 34 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया है।

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इस साल महानगरों में एडमिशन कम हुए हैं, मंदसौर में सबसे कम और छतरपुर में सबसे अधिक दाखिले हुए हैं। वहीं 2020 में कुल एडमिशन एक करोड़ 25 लाख हुए थे तो 2019 में एक करोड़ 42 लाख एडमिशन हुए थे, यानि 2020 में करीब 18 लाख कम प्रवेश हुए थे। वहीं सरकारी स्कूलों में करीब 82 लाख और निजी स्कूलों में करीब 44 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया था। शिक्षाविदों का मानना है कि निजी स्कूलों में महंगी फीस के कारण भी बच्चों की संख्या कम हुई है और उच्च कक्षाओं में सरकारी स्कूलों की तरफ रुझान बढ़ा है।

निजी स्कूलों में प्रवेश कम हुए

इस बार निजी स्कूलों में प्रवेश कम हुए हैं। इस साल पहली से बारहवीं कक्षा तक में 44 लाख एडमिशन हुए हैं। वहीं पिछले साल 51 लाख बच्चों ने पहली से बारहवीं कक्षा में दाखिला लिया था। कोरोना काल में भी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से पूरी फीस वसूली जा रही है। यही कारण है कि इस साल करीब सात लाख बच्चे कम हुए हैं। अभिभावकों का स्र्झान सरकारी स्कूलों की ओर बढ़ा है।

सत्र 2021-22 कुल एडमिशन

पहली से बारहवीं में – 1 करोड़ 30 लाख

2020-21 में कुल एडमिशन

पहली से बारहवीं कक्षा में – एक करोड़ 37 लाख

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