भोपाल। मिलावटी शराब से बढ़ रही मौत की घटनाओं को रोकने के लिए शिवराज सरकार ने आबकारी अधिनियम में संशोधन कर फांसी की सजा का प्रविधान जोड़ा है। उस पर मंगलवार को विधानसभा की मुहर लग गई। सदन में आबकारी अधिनियम में संशोधन विधेयक हंगामे के बीच पारित हो गया। राज्यपाल की सहमति के बाद अब यह कानून भी बन जाएगा लेकिन ऐसे गंभीर विधेयक पर किसी विधायक ने कोई सुझाव देना उचित नहीं समझा।
इसमें मिलावटी शराब के सेवन से मृत्यु के मामले में आरोपित के विरुद्ध बार-बार दोषसिद्ध होता है तो उसे मृत्युदंड (फांसी) की सजा और कम से कम बीस लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। अधिनियम में मदिरा की परिभाषा में हेरिटेज मदिरा नाम से नई श्रेणी शामिल की गई है।
अब गैरजमानती होगा अपराध
वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में मध्य प्रदेश आबकारी (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किया। सदन में हंगामे के कारण इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। शोरगुल के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कार्यवाही पूरी कराई और विधेयक पारित हो गया। अब इसे राज्यपाल को अनुमति के लिए भेजा जाएगा। उनकी अनुमति मिलते ही राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से इसके प्रविधानों को लागू कर दिया जाएगा।
मादक द्रव्य में हानिकारक, रंगीन या अन्य मिलावट करने पर जुर्माना न्यूनतम तीन सौ रुपये के स्थान पर 30 हजार और अधिकतम दो हजार की जगह दो लाख रुपये होगा। आबकारी अमले या पुलिस की जांच में बाधा पहुंचाने या हमला करने पर दो की जगह अब तीन साल का कारावास होगा। इस प्रविधान से यह अपराध गैर जमानती हो जाएगा।
आंख खराब हुई या शारीरिक क्षति तो दो साल की सजा
मानवीय उपभोग के लिए अनुपयुक्त (मिलावटी) शराब मिलने संबंधी पहली बार के अपराध से जुड़े मामलों में कारावास दो माह की जगह न्यूनतम छह माह और जुर्माना एक लाख रुपये से कम नहीं होगा। मिलावटी शराब से शारीरिक क्षति (जैसे आंखों की रोशनी जाना) होने पर न्यूनतम चार माह की जगह दो वर्ष और अधिकतम आठ वर्ष के कारावास के साथ न्यूनतम दो लाख रुपये का जुर्माना होगा। मिलावटी शराब के सेवन से मृत्यु होने पर न्यूनतम दो वर्ष की जगह 10 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास व न्यूनतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।