ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिला जेल में कल हुए हादसे के बाद भले ही अपनी दुर्दशा पर आंशू बहा रही हो। परंतु एक जमाने में यह जेल मध्यप्रदेश की कुछ चुनिंदा जेलों में एक थी। इस जेल में बड़े से बड़े कुख्यात दस्यु सरगना और बदमाशों को बंद किया गया। जेल के गिरने के बाद अब यह इतिहास बन गया। जिस तरह देश की तिहाड़ जेल में कुख्यात बदमाश बंद होते है। वैसे ही कुख्यात डकैत व बदमाश, इस जेल में भी सजा काट चुके है। इस जेल में रहने वाले कुछ ऐसे नाम थे जिन्हें सुनने मात्र से छोटा-मोटा बदमाश दहशत में आ जाता था। इसलिए आस-पास के जिले के बदमाश इस जेल में सजा काटने से घबराते थे। कुख्यात बदमाशों की वजह से हर कोई जेलर भिण्ड जेल में आने से कतराता था। कई बार जेल से बदमाशों के भागने की भी घटनायें हुई है।

भिण्ड जिले में दस्यु उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत डीएसपी (दो बार राष्ट्रपति से दस्यु उन्मूलन में वीरता पुरस्कार से सम्मानित ) केडी सोनकिया ने बताया कि उनके सेवाकाल के दौरान 25 एन्काउंटर में 45 बदमाश व डकैतों का सफाया किया है। उन्होंने बताया कि पुलिस सेवा में आने के बाद सन् 1986 में पहली बार मेरी पोस्टिंग भिण्ड में हुई। उस समय मेरी उम्र 27 साल थी। पहली पोस्टिंग के साथ मुझे दस्यु उन्मूलन का जिम्मा दिया गया। भिण्ड जिले में तीन बार पदस्थ हुआ। हर बार डकैतों या बदमाशों के खात्मा की जिम्मेदारी मिली।

नब्बे के दशक में भिण्ड शहर का सबसे शातिर गिरोह रामकुमार पंडित का था। जब मुझे पुनः मुरैना से भिण्ड भेजा गया तो स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बदमाश का शहर में सिक्का चलता था। वो जेल में बैठकर सिगरेट के रैपर पर माचिस की बुझी हुई तीली से रुपए अंकित कर देता था फिर इसे कैश के रूप में किसी भी सेठिया से रुपए गिरोह के सदस्य वसूल लेते थे। इस गिरोह के सदस्य को 1991 में एक सेठ ने पैसा नहीं दिया तो जेल से आते रामकुमार ने दिसंबर महीने में एक परिवार के तीन सदस्यों को मार डाला। उस समय भिण्ड शहर बदमाशों से और बीहड़ डकैतों की समस्या से जूझ रही थी। इस सबके विरोध में भिण्ड के व्यापारियों ने छह दिन दुकान नहीं खोली। पूरा बाजार बंद रहा। इस घटना के बाद रामकुमार पंडित को तीन महीने में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। इसके बाद उसका गिरोह पूरी तरह समाप्त हो गया। केडी सोनकिया की पहली बार में सब-इंस्पेक्टर के रुप में पदस्थापना हुई फिर उसके बाद नगरनिरीक्षक की हुई फिर नगर पुलिस अधीक्षक बनकर भिण्ड आए। तीन बार की पदस्थापना में उन्होंने बदमाश, डकैतों के खिलाफ अभियान चलाया।

इस जेल में चंबल के कुख्यात दस्यु सरगना मान सिंह भी रहे है। ढाई लाख का ईनामी डकैत मेहरवान सिंह पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद इस गिरोह का मुखिया मेहरवान का भतीजा राजू कुशवाह हो गया। एक लाख का ईनामी राजू को 1995 में पुलिस ने पकड़ा। इसके बाद यह करीब पांच साल भिण्ड जेल में रहा। इसे जब आजीवन कारावास हुआ तो उसे सेंट्रल जेल, ग्वालियर भेजा गया। भिण्ड जेल में डकैत रामआसरे (फक्कड़ बाबा) अपने गिरोह के कुछ सदस्यों के साथ करीब तीन साल तक रहा। पहलवान गुर्जर, निर्भय गुर्जर और रज्जन गुर्जर गिरोह के कई सदस्यों को भिण्ड जिला जेल में बंद रहे। इन गिरोह के सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा होने के बाद सेंट्रल जेल ग्वालियर भेजा गया।

जेलर ओपी पांडेय ने बताया कि भिण्ड जेल 60 साल पुरानी है। इस जेल में मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के कुख्यात डकैत गिरोह के सदस्य व सरगना रह चुके है।

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