ग्वालियर। नगरपालिका भिण्ड में हैंडपंप तथा नलकूप संधारण के नाम पर पिछले ढाई साल में नगरपालिका को 2 करोड 85 लाख रुपए का चूना लगाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। यहीं नहीं भुगतान भी टेंडर निकाले बिना कर दिया गया। करोडों रुपए खर्च कर दिए जाने के बाद भी शहर में दौ सैकडा से अधिक हैडपंप खराब पडे हुए हैं। वहीं 16 नलकूप अभी तक सामान नहीं होने के कारण चालू नहीं हो पाए है। वितीय अनियमितताओं का खुलासा पार्षदों द्वारा आईटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
ढाई साल में नगरपालिका क्षेत्र में हैडपंप तथा नलकूपों की मरम्मत के नाम पर 2 करोड 85 लाख रुपए के उपकरण तथा अन्य सामान खरीदा गया है। शासन के निर्देशानुसार 25 हजार रुपए के नीचे का सामान व्हाउचर से खरीदा जा सकता है। 25 हजार रुपए से ऊपर 2 लाख का टेंडर निकाला जाएगा, लेकिन लेकिन ऐसा नहीं किया गया। वर्ष 2013-14 से सितम्बर 2015 तक 2 करोड 85 लाख रुपए की खरीद की गई है और सात-सात लाख के भुगतान बिना टेंडर निकाले ही कर दिए गए है। करोडों रुपए खर्च कर दिए जाने के बाद भी नगरपालिका क्षेत्र में दो सैकडा से अधिक हैडपंप खराब पडे हुए है। उपकरणों के अभाव में 16 स्कीम बोर बंद पडे हुए है।
वर्ष 2014-15 में हैंडपंप संधारण के लिए खर्च 26 लाख 86 हजार 742, जलप्रदाय मोटर साम्रगी खरीद पर 1 करोड 37 लाख 94 हजार 445 रुपए खर्च किए गए। जलप्रदाय मेंटीनेंस पर खर्च 46 लाख 28 हजार 239 रुपए। वर्ष 2013-14 में जलप्रदाय विघुत साम्रगी क्रय पर 5 लाख 13 हजार 667 रुपए, लाइन मेंटीनेंस पर खर्च 12 लाख 55 हजार 60 रुपए खर्च और हैंडपंप संधारण पर खर्च 6 लाख 60 हजार 303 रुपए खर्च किए गए।
वार्ड नम्बर 39 के पार्षद मुकेश गर्ग ने बताया कि करोडों की खरीद बिना टेंडर के ही कराए जाने की मांग बोर्ड की बैठक में कई बार की थी। इसके बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तो मजबूरन उन्हें आईटीआई का सहारा लेना पडा। मुकेश गर्ग ने बताया कि शहर में 2 हजार 500 हैडपंप है। इनमें से 650 पर दबंगों का कब्जा है। सैकडों हैडपंप मरम्मत न होने के कारण बंद पडे हुए है। सामान व्हाउचरों पर ही खरीदा गया है। जिनसे सामान खरीदा गया है उनकी सामान देने की क्षमता ही नहीं है। और करोडों का नियम विरुद्ध भुगतान भी कर दिया गया।
नगरपालिका परिषद भिण्ड की नेता प्रतिपक्ष श्रीमती आशा जैन ने बताया कि ढाई साल में शासन को 2 करोड 85 लाख रुपए का चूना लगाया गया है। सामान की खरीददारी केवल बिल व्हाउचरों में ही हो गई। भुगतान में शासन के नियमों को भी ताक पर रख दिया गया। इतना पैसा यदि वास्तव में खर्च हो जाता तो पेयजल की समस्या का समाधान हो जाता। इस पूरे मामले की जांच ईमानदारी से की जाए तो नगरपालिका के कई अधिकारी जेल में होंगे।
नगरपालिका भिण्ड की अध्यक्ष कलावती मिहोलिया का कहना है कि हैडपंप तथा नलकूपों के संधारण के नाम पर सामान खरीद का मामला उनके संज्ञान में अभी नहीं आया है। यदि सामान खरीद में भ्रष्टाचार हुआ है तो वो इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान (ईओडब्ल्यू) से कराएगी। और जो भी दोषी होगा उसे सजा दिलाई जाएगी।
भिण्ड एसडीएम एवं प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी बीबी अग्निहोत्री ने बताया कि ढाई साल में की गई सामान खरीद की जांच कराई जाएगी और जहां भी नियम विरुद्ध सामान खरीद व भुगतान किया गया है तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी जिन्होंने ऐसा किया ह

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