भोपाल। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के पुनर्गठन के दौरान आज मध्यप्रदेश से संबंधित दो सांसदों डॉ वीरेंद्र कुमार और ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाए जाने के बाद इस राज्य से मंत्रियों की संख्या बढ़कर संख्या छह हो गयी है।
वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद्र प्रधान, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते पहले से ही मोदी मंत्रिमंडल में स्थान बनाए हुए हैं। वरिष्ठ नेताओं में शुमार थावरचंद गेहलोत भी राज्य के कोटे से आते हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद पुनर्गठन की प्रक्रिया के दौरान उन्हें मंत्री पद से मुक्त कर कर्नाटक के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पेट्रोलियम मंत्री प्रधान मूल रूप से ओड़िसा के निवासी हैं, लेकिन वे वर्तमान में मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद (भाजपा) हैं।
क्षेत्रवार नजर दौड़ायी जाए, तो केंद्रीय कृषि मंत्री एवं वरिष्ठ नेता तोमर मुरैना संसदीय क्षेत्र (चंबल अंचल) का प्रतिनिधित्व करते हैं। लगभग डेढ़ वर्ष पहले कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया वर्तमान में मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं, हालाकि उनका ग्वालियर चंबल अंचल के अलावा मालवा अंचल में भी अनेक स्थानों पर प्रभाव है।
कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले डॉ वीरेंद्र कुमार बुंदेलखंड अंचल की और उत्तरप्रदेश की सीमा से सटी अनुसूचित जाति (अजा) के लिए सुरक्षित टीकमगढ़ संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। माना जा रहा है कि इस ‘दलित’ चेहरे को दूसरी बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने से बुंदेलखंड अंचल और इससे लगे उत्तरप्रदेश के अंचलों में भी भाजपा अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
हालाकि बुंदेलखंड अंचल की एक और संसदीय सीट दमोह से पार्टी सांसद प्रहलाद पटेल केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री के रूप में पहले से मंत्रिमंडल में राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पटेल के मंत्री के रूप में भविष्य को लेकर सत्ता के गलियारों में तरह तरह की अटकलें थीं, लेकिन फिलहाल उनका मंत्री पद बच गया है। इस तरह राज्य के बुंदेलखंड अंचल से दो सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने में सफल हुए हैं।
महाकौशल अंचल की अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए सुरक्षित मंडला संसदीय क्षेत्र से सांसद एवं आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते पहले से ही केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उनके प्रदर्शन को लेकर भी अटकलबाजियां थीं, लेकिन वे भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व बनाए हुए हैं। राजनैतिक प्रेक्षकों का कहना है कि श्री कुलस्ते के रूप में भाजपा आदिवासियों के बीच अपनी पकड़ को लेकर फिलहाल कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगी।
नए मंत्रियों की शपथ के पहले मूल रूप से उज्जैन जिला निवासी एवं वरिष्ठ नेता थावरचंद गेहलोत से त्यागपत्र ले लिया गया। वे केंद्र में सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय देख रहे थे। वे मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में भी अपना दायित्व निभा रहे थे। लेकिन कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के बीच उन्हें मंत्री और सांसद पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ‘मोदी सरकार टू’ के गठन के दौरान मध्यप्रदेश से तोमर के अलावा गेहलोत, प्रधान, पटेल और कुलस्ते को मंत्री पद से नवाजा गया था। उस समय मंत्रियों की संख्या पांच थी और आज पुनर्गठन के बाद संख्या बढ़कर छह हो गयी है।