भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस से मरे लोगों की भस्म खाद के रुप में उपयोग कर पार्क बनाया जाएगा। यह पार्क राजधानी भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर बनाया जाएगा। भदभदा प्रबंधन समिति ने रविवार को बताया कि कोरोना से मरे मरीजों की भस्म इतनी ज्यादा थी कि इसे पर्यावरण के नजरिए से नर्मदा नदी में प्रवाहित करना सही नहीं था। इसलिए यह फैसला लिया गया। पार्क बनाने के लिए भस्म के साथ साथ जमीन की मिट्टी, गाय के गोबर एवं लकड़ी के बुरादे को मिलाया है। जिसमें कई किस्मों के वृक्षारोपण किए जाएगें जब तक पौधे पेड़ नहीं बन जाते इसकी देखभाल का जिम्मा भी समिति का ही होगा।
प्रबंधन समिति के अनुसार, भदभदा विश्राम घाट में 15 मार्च से 15 जून तक 90 दिनों की अवधि के दौरान कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार 6,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इनमें से ज्यादातर परिजन कोरोना महामारी के कारण लगी पाबंदियों के कारण पवित्र नदियों में अस्थि विसर्जन नहीं कर पाए व कुछ एक अपने परिचितों की थोड़ा-थोड़ा भस्म एवं हड्डी के बचे हुए टुकड़े ले गये और अधिकांश भस्म को वहीं पर छोड़ गये थे। ऐसी स्थिति में करीब 21 ट्रक भरकर भस्म हमारे विश्राम घाट में जमा हो गई। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में जमा भस्म को नर्मदा नदी में प्रवाहित करना पर्यावरण के नजरिए से ठीक नहीं है। इसलिए हमने फैसला किया है कि कोरोना वायरस महामारी से मरे इन लोगों की याद में उनकी इस भस्म का खाद के रूप में उपयोग हम भदभदा विश्राम घाट में ही 12,000 वर्ग फुट की जमीन पर पार्क को विकसित करेंगे।
पार्क में वृक्षारोपण का काम पांच जुलाई से सात जुलाई के बीच होगा और इस दौरान लोग पौधों को रोपने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि कोविड-19 से मरे हिन्दुओं का भोपाल में दो विश्राम घाटों में अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें से एक भदभदा विश्राम घाट शामिल है। समिति के सदस्यों के अनुसार भस्म फॉसफोरस खाद का बहुत बढ़िया काम करती है। शर्मा ने बताया कि यह पार्क जापान की ‘मियावाकी तकनीक’ पर विकसित किया जा रहा है और इस पार्क में करीब 3,500 से 4,000 पौधे लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के तहत इन पौधों को पेड़ बनने में 15 से 18 महीने लगेंगे।