बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुई एक शादी चर्चा का विषय बन गई है। दरअसल, यह शादी ईको फ्रेंडली शादी थी। समारोह के दौरान पर्यावरण बचाने का संदेश दिया गया। लग्जरी कार की जगह बैलगाड़ी में बरात आई और इसी पर दुल्हन की विदाई हुई। स्टेज से लेकर मंडप तक हरे पत्तों और फूलों से सजाया गया था। पत्तों पर ही भोजन करवाया गया। हर बराती को उपहार में पौधे देकर विदाई दी गई।
दूल्हे ने पगड़ी की जगह लगाया खजूर का मुकुट, देखते रह गए सब बांदा के गोरे पुरवा में रहने वाली वंदना के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। नरैनी के रहने वाले टीचर व पर्यावरण प्रेमी यशवंत कुमार ने वंदना को अपनी बेटी माना था। यशवंत ने वंदना की शादी मध्य प्रदेश के गोपरा में कमलेश से तय की थी। 16 जून को गोपरा से बैलगाड़ी में गोरे पुरवा बरात आई। दूल्हा कमलेश सिर पर पगड़ी की जगह खजूर का मुकुट लगाए था।
लकड़ी में तैयार किया गया था खाना, पत्तों पर भोजन कराया गया बैंडबाजा, डीजे और आतिशबाजी की जगह ढोलक की थाप और महिलाओं के मंगल गीत सुनाई दे रहे थे। विवाह स्थल को फूल-पत्तियों से सजाया गया था। बरातियों और घरातियों को हरे पत्तों पर भोजन कराया गया और मिट्टी के कुल्हड़ में पानी व आम का पना दिया गया। कंडा-लकड़ी में खाना तैयार किया गया था। यशवंत कुमार पर्यावरण प्रेमी हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण का ध्यान रखते हुए वह अब तक 14 गरीब बालिकाओं का विवाह करा चुके हैं। ऐसी शादी के लिए वर-वधू पक्ष के लोगों का तैयार होना जरूरी होता है। सारे रीति-रिवाज प्रकृति का ख्याल रखकर पूरे किए जाते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरणा दी जाती है।