भोपाल । प्रदेश की एक मात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी में पास एवं फेल करने का फर्जीवाड़ा सामने आया हैं। यूनिवर्सिटी में डेंटल और नर्सिंग के उन छात्रों को पास कर दिया गया जो एग्जाम में बैठे ही नहीं थे। कम नंबर आने वालों के नंबर बढ़ाए गए हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने फर्जीवाड़ा सामने आते ही जांच के आदेश दिए हैं।

जांच में ठेका कंपनी प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी माइंडलॉजिक्स की मिलीभगत सामने आई है। जांच टीम को आशंका है कि यह मामला और बढ़ा हो सकता है। माइंडलॉजिक्स कंपनी एमबीबीएस का रिजल्ट भी बनाती है। इसमें भी फेल-पास का खेल हो सकता है। अभी तक कंपनी ने अपना डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। हालांकि समिति ने 10 दिन की जांच रिपोर्ट कुलपति के अनुमोदन के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेज दी है। कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की बात कही है। विश्विविद्यालय का रिजल्ट बनाने का ठेका प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी माइंडलॉजिक्स को एमयू की ओर से दिया गया है।

छात्रों की शिकायत पर जांच समिति गठित

छात्रों ने परीक्षा परिणाम में धांधली की शिकायत की थी। इसी पर जांच समिति बनाई गई थी। समिति ने जांच में पाया कि परिणाम घोषित होने से पहले ही छात्रों को रिजल्ट की जानकारी हो जाती थी। गोपनीय विभाग का एक बाबू प्राइवेट ई-मेल पर इसके परिणाम मंगवाता था। अवकाश पर होने के बाद भी ठेका कंपनी को परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना ने भी छात्रों के नंबर ई-मेल से भेजे। जांच समिति ने पाया कि प्रभार पर न होते हुए भी उन्होंने ई-मेल करके निजी कॉलेजों के साथ मिलकर परीक्षा परिणाम घोषित किए।

अनुबंध में ये हुआ था तय

एमयू और ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स के बीच अनुबंध के मुताबिक अंकों का आदान-प्रदान डाटा एक्सचेंज इंटरफेस के माध्यम से होना चाहिए था। इसे सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है। इसमें अंकों और डाटा में किसी प्रकार छेड़छाड़ होने की जानकारी विवि के पास रहती है। शर्तों के विपरीत निजी कंपनी ने ई-मेल पर परीक्षा संबंधी गोपनीय जानकारी दी। इसके कारण छात्रों के परीक्षा परिणाम और अंकसूची देने में देरी और गड़बड़ी हुई। समिति ने जांच रिपोर्ट में ई-मेल के उपयोग को छात्रों के परीक्षा परिणाम में सेंध लगाने जैसी बात कही है।

परीक्षा नियंत्रक की संलिप्तता आई सामने

इस मामले में गठित जांच समिति ने माइंडलॉजिक्स कंपनी के सिस्टम की जांच के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 3 आईटी विशेषज्ञ बुलवाए। इन विशेषज्ञों को जांच में सहयोग के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना को निर्देश दिए गए, लेकिन वे सरकारी कार्य का हवाला देकर भोपाल चली गईं। जांच समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि नियंत्रक ने आईटी विशेषज्ञों को कंपनी से आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और न ही अपना प्रभार किसी को सौंपा।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने दिए थे जांच के निर्देश

छात्रनेता अंशुल सिंह, शुभम, संदेश, हीरेंद्र सहित अन्य ने पिछले दिनों चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिलकर व्यापमं की तर्ज पर परीक्षा घोटाला का आरोप लगाया था। आरोपों में कहा गया कि एमयू से परीक्षा को लेकर अनुबंधित कंपनी माइंडलॉजिक्स कंपनी ने पास-फेल का खेल रचा है। आश्चर्यजनक तरीके से उपस्थित छात्र फेल और अनुपस्थित पास हो गए। माक्र्स एंट्री पोर्टल में नंबर में भी फेरबदल किया गया। इस पर मंत्री सारंग ने दो जून को जांच के निर्देश दिए थे। मामले में विवि के कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस डेकाटे और लेखाधिकारी राकेश चौधरी के साथ भोपाल से तीन तकनीकी विशेषज्ञों को जांच समिति में नामित किया गया था।

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