भोपाल। मध्य प्रदेश में बहुचर्चित हनीट्रैप की आरोपी आरती दयाल की जमानत याचिका भोपाल के न्यायालय ने सिर से खारिज कर दी है। ये याचिका ईमेल के माध्यम से भेजी गई थी। आरती दयाल की ओर से न्यायालय में तर्क दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जो महिलाएं 7 साल की कम सजा की दोषी हैं, उन्हें कोरोनावायरस को देखते हुए पैरोल पर जमानत दे दी जाए। इस पर भोपाल की कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अारोपिता पर 10 साल की सजा बनती है। उसे किसी आधार पर पहले नहीं छोड़ सकते हैं।
आरती दयाल हनीट्रैप केस में मुख्य आरोपी है, जिसके चलते उसका केस सीआईडी भोपाल में दर्ज हुआ था। इस मामले का ट्रायल भोपाल कोर्ट में चल रहा है, मगर इस धारा के तहत लगभग 10 साल की सजा है इसको देखते हुए आरती दयाल की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
इंदौर के सेंट्रल जेल से ईमेल के माध्यम से जमानत के लिए आरती दयाल ने अर्जी लगाई थी, जिसमें कोरोनावायरस और सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया गया था कि कोर्ट के निर्देश अनुसार जो पैरोल पर जमानत देने का प्रावधान किया गया उसके तहत जमानत दी जाए। जमानत की अर्जी न्यायाधीश भरत व्यास के कोर्ट में पहुंची, जिसे निरस्त कर दिया गया।
जो धाराएं आरती दयाल पर लगाई गई हैं, उन धाराओं में सजा 10 साल की है, जिसके चलते उन्हें जमानत नहीं दी गई। फिलहाल, कोर्ट द्वारा जमानत निरस्त कर दी गई। आरती दयाल लोगों को हनीट्रैप में फंसाकर ब्लैकमेल करने का काम करती थी। वहीं अब हनी ट्रैप मामले में ट्रायल की सुनवाई लगातार जारी है। इस मामले में अन्य आरोपी महिलाएं भी इंदौर की जेल में हैं।