भोपाल। दो साल से तबादले का इंतजार कर रहे मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों को अभी चार महीने और इंतजार करना पड़ सकता है। मानसून की आमद में कुछ दिन शेष हैं। ऐसे में सरकार कर्मचारियों के तबादले करने के मूड में नहीं है। इसी कारण विभिन्न् विभागों ने तबादलों के प्रस्ताव रोक दिए हैं। प्रदेश में नियमित, स्थाईकर्मी, संविदा, दैनिक वेतनभोगी सहित निगम-मंडल में 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। 15 महीने सत्ता से बाहर रहकर लौटी शिवराज सरकार ने तबादलों की लंबी सूची तैयार की थी। वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ संवर्ग के कर्मचारियों के भी तबादले होने थे, पर सवा साल से सरकार को तबादले करने का मौका ही नहीं मिल रहा। कोरोना संक्रमण काल में सत्ता संभालने वाली सरकार अभी तक संक्रमण से ही जूझ रही है।

पिछले साल जैसे-तैसे कोरोना संक्रमण कम हुआ, तो उसके बाद की तैयारियों (गरीबों को राशन, रोजगार देने) के लिए मैदानी अधिकारियोंकर्मचारियों को हटाया नहीं जा सका। जैसी ही हालात सुधरे सरकार ने तबादला नीति बनाई और स्वेच्छा से तबादले कराने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के आवेदनों का विभागों में ढेर लग गया। अप्रैल-मई में थोकबंद तबादलों की तैयारी हुई। उससे पहले ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई, इसलिए चुनिंदा तबादले ही हो सके। शिक्षकों को सबसे ज्यादा इंतजार प्रदेश में सबसे ज्यादा कर्मचारी स्कूल शिक्षा विभाग में हैं। अध्यापक से शिक्षक बने 2.37 लाख और करीब दो लाख नियमित शिक्षकों को तबादलों को बेसब्री से इंतजार था। अध्यापक संवर्ग से नियमित हुए शिक्षकों के 25 साल से तबादले नहीं हुए थे। वर्ष 2017 में उनके लिए तबादला नीति बनी। फिर भी वर्ष 2017 एवं 2018 में 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों के तबादले नहीं हुए, जबकि 75 फीसद से ज्यादा शिक्षक तबादले की मांग करते रहे हैं।

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