एक बार फिर उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से मजदूरों की महानगरों में वापसी शुरू हो गई है, लेकिन उनके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं हो रहा है। उन्हें बसों में ठूंस-ठूंसकर भरा जा रहा है और कोरोना प्रोटोकॉल को कतई पालन नहीं किया जा रहा। उनकी मुसीबत तब बढ़ जाती है जब उनकी बसों को प्रशासन व आरटीओ द्वारा रोक लिया जाता है। इसके बाद वे घंटों भूखे-प्यासे गर्मी में झुलसते रहते हैं। शुक्रवार को ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश की सीमा से सटे महाराष्ट्र के धुलिया में सामने आया।

धुलिया में शुक्रवार शाम सीमा पर जांच के दौरान आरटीओ ने दो लग्जरी बसों को पकड़ा। इन बसों में 220 मजदूरों को मुंबई व पुणे ले जाया जा रहा था। धुलिया आरटीओ ने बसें जब्त कर लीं और मजदूरों को उतारकर बस स्टैंड पर रामभरोसे छोड़ दिया गया। इनके लिए न तो भोजन की व्यवस्था की गई और न ही मुंबई व पुणे जाने के प्रबंध किए गए। वे प्रशासन से गंतव्य तक पहुंचाने की गुहार लगाते नजर आए।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम चार बजे ये मजदूर महाराष्ट्र की हाडा खेड़ चेक पोस्ट से मुंबई और पुणे जाने के लिए दो बसों में सवार हुए। एक-एक बस में 100 से 120 श्रमिकों को भरा गया। जबकि एक लग्जरी बस में अधिकतम 35 से 40 यात्री ही ले जाए जा सकते हैं। इसी कारण आरटीओ ने उन्हें जब्त किया है।

देश में मार्च में शुरू हुई दूसरी कोरोना लहर के बाद बड़ी संख्या में मजदूर अपने गृह राज्य व गांवों में लौट गए थे। अब चूंकि संक्रमण दर कम हो रही है और अलग-अलग राज्यों में लागू लॉकडाउन से ढील दी जा रही है, इसलिए मजदूरों की महानगर वापसी हो रही है।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में मजदूर एक बार फिर महानगरों में कामकाज के लिए लौट रहे हैं। जब्त बसों में सवार मजदूर मुंबई और पुणे जा रहे थे। शुक्रवार शाम जैसे ही उनकी बसें धुलिया सीमा में पहुंचीं परिवहन विभाग अधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से मजदूर को ले जा रही इन बसों को जब्त कर लिया। इसके बाद आरटीओ के कर्मचारी इन मजदूरों को मुंबई और पुणे जाने की व्यवस्था किए बिना धुले बस स्टैंड छोड़कर चले गए। इन मजदूरों में से कई के पास तो खाने-पीने के पैसे और आगे जाने का किराया भी देने को नहीं है। मजदूर उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने व खाने-पीने के इंतजाम की मांग कर रहे हैं।

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