भोपाल/ ग्वालियर। कोरोना और ब्लैक फंगस के कहर के बीच छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे जूनियर डॉक्टर्स ने गुरुवार को बड़ा कदम उठाया है। हाईकाेर्ट के काम पर लौटने के फैसले के कुछ घंटे बाद मध्य प्रदेश के सभी 3 हजार जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। जूडा ने सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए। संगठन का कहना है कि सरकार ना हमारी बात मान रही है और ना ही हमसे कोई बातचीत करना चाहती है। ऐसे में हमारे पास सिर्फ इस्तीफे का ही रास्ता बचता है। उधर, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए इसकी निंदा की है।
ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के 330 जूनियर डॉक्टर गुरुवार शाम कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. समीर गुप्ता से मिले और उन्हें अपने सामूहिक इस्तीफे सौंप दिए। डॉक्टर्स का कहना है कि ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स के साथ मध्यप्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के 3000 जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। सरकार कम से कम एक बार संवाद तो करे। संगठन का कहना है कि हम लोग चार दिन से हड़ताल पर थे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री हमारे प्रतिनिधियों से बात तो करें। सरकार से लगातार संवाद की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने सरकार के सामने छह सूत्रीय मांगे रखीं थी लेकिन सरकार कह रही है कि चार मांग मान ली। लेकिन वो कौन सी मांग हैं, हमें नहीं पता। जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि हमारे साथ ही ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है?
जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने PG फाइनल ईयर के 450 स्टूडेंट्स के नामांकन रद्द किए :
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को हाईकोर्ट द्वारा अवैध घोषित किए जाने के बाद जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने मेडिकल कॉलेज के पीजी के फाइनल ईयर के 450 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल कर दिए हैं। जिन जूनियर डॉक्टरों के नामंकन कैंसिल किए गए हैं उनके नाम यूनिवर्सिटी को मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा भेजे गए थे। इस कार्रवाई के बाद फाइनल इयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे।
इधर, भोपाल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा कि जीएमसी जूडा के अध्यक्ष हरीश पाठक के परिजनों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूडा की कोई मांग नहीं मानी। जूडा को मंत्री ने सिर्फ आश्वासन दिया है। जूडा के पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं था। दवाई और संसाधन नहीं होने के बावजूद जूडा ने मरीजों का उपचार किया। थर्डियर के छात्रों का इनरोलमेंट रद्द किया जा रहा है। निर्दोष जूडा को सरकार आरोपी बना रही है। सरकार ने किसी अजनबी आदमी से जानबूझकर कोर्ट में याचिका लगवाई है। ऐसे में जूडा ने हड़ताल चलाने का फैसला लिया है। कहा- जब तक सरकार मांगें नहीं मानती है तब तक जूडा का आंदोलन जारी रहेगा। जूडा ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला लिया है। इधर, मेडिकल टीचर संघ ने भी जूडा को समर्थन दिया है। मांगें पूरी नहीं होने पर मेडिकल टीचर्स ने भी हड़ताल पर जाने का संकेत दिया। जूडा ने कहा कि सरकार ये गलत बोल रही है कि जूडा ब्लैकमेल कर रहा है। हमने कभी ब्लैकमेल नहीं किया। हाईकोर्ट के आदेश को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
हाईकोर्ट ने कहा- काम पर लौटें, वरना कार्रवाई होगी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के समय हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के कृत्य की निंदा की है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस विपत्ति के समय जब जनता को उनकी जरूरत है। इसके बावजूद हड़ताल पर जाना कहीं से भी सही नहीं है। वर्तमान में डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण समय है और ऐसे समय में अगर जूनियर डॉक्टर्स अपने कर्तव्य से विहीन होते हैं तो उनके इस काम की कतई सराहना नहीं की जा सकती।
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस पर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल ने अपना फैसला सुनाते हुए जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को अवैध घोषित किया है। हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को सख्ती से निर्देश दिए हैं कि अगर 24 घंटे के अंदर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं आते हैं तो ऐसे में राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।