नई दिल्‍ली। अदालत ने पाया कि भारत में चीन जैसा अनुशासन लागू नहीं हो सकता। गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को सलाह दी । गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को सलाह दी कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी और चौथी लहर की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य ढांचे को बढ़ाया जाए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लोग फेस मास्क, सोशल डिस्टेंशिंग और सैनिटाइजेशन जैसे नियमों का पालन नहीं करने जा रहे हैं।    

अदालत ने कहा कि गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लंबी अवधि के लिए बेहतर करने की आवश्यकता है, ना कि केवल महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए। पीठ ने कहा, ‘महामारी की तीसरी और चौथी के बारे में क्या करें? तीसरी लहर के बाद चौथी लहर आएगी, क्योंकि राज्य के लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करने जा रहे। इस देश में कोई ऐसा नहीं करने वाला, इसलिए हर छह महीने में एक नयी लहर आएगी।’ सुनवाई के दौरान अदालत ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा, ‘इस समझ के साथ आपको खुद को तैयार करना होगा।’  

जस्टिस बेला त्रिवेदी और भार्गव डी कारिया की डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि चीन जैसा अनुशासन भारत में लागू नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने गुजरात सरकार से किसी नई लहर से निपटने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने को कहा। बेंच ने गुजरात में कोविड-19 की स्थिति और अन्य संबंधित मुद्दों पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। जब त्रिवेदी ने भारत की तुलना यूरोपीय देशों से करते हुए कहा कि सात विकसित देशों में संयुक्त रूप से महामारी की वजह से अधिक मरीज और मौतें हुई हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत की तुलना केवल चीन के साथ हो सकती है। कोर्ट ने कहा, ‘आपको चीन के साथ तुलना करनी होगी। यह तुलना योग्य नहीं है। जिस तरह का अनुशासन वहां लागू हुआ वह यहां सभव नहीं है। इसलिए चिकित्सा सुविधा को बढ़ाइए।’

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