ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों को ग्रह की उपाधि प्रदान की गई है। कलयुग में राहु और केतु की स्थिति को बहुत ही अहम माना गया है। राहु और केतु धन, जॉब, करियर और लव रिलेशन से जुड़ी समस्या भी प्रदान करते हैं। वैशाख मास में राहु केतु के मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है। इससे इन ग्रहों की अशुभता दूर होती है।  

  राहु का स्वभाव राहु के पास सिर है, लेकिन धड़ नहीं है। इसलिए राहु व्यक्ति को दिमाग को सबसे अधिक प्रभावित करता है। राहु अशुभ होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव, भ्रम, अज्ञात भय की स्थिति प्रदान करता है। राहु प्रधान व्यक्ति साहसी, परिश्रमी, विभिन्न विषयों का जानकार, संचार, जासूसी के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त करता है।       केतु का स्वभाव ज्योतिष शास्त्र में केतु का स्वभाव मंगल की तरह बताया गया है। ये साहस, क्रोध, रोमांच और युद्ध का भी कारक है। केतु को भी एक क्रूर ग्रह माना गया है। ये अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी है।

    राहु-केतु जीवन में अचानक लाभ और हानि प्रदान करते हैं राहु और केतु जीवन में जब कुछ प्रदान करते हैं बड़ा प्रदान करते हैं। यही कारण है कि जब ये हानि देते हैं तो बड़े पैमान पर हानि प्रदान करते हैं, वहीं जब ये शुभ होते हैं तो अचानक जीवन में बड़ा लाभ प्रदान करते हैं। राजा को रंक और रंक को राजा बनाने की क्षमता इन्हीं दो ग्रहों को प्राप्त है।    

  इन मंत्रों का जाप करें- – ॐ रां राहवे नम: – ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: – ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:

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