इंदौर.  इंदौर (Indore) को 1 जून से राहत मिल सकती है. कोरोना हालात को देखते हुए कोरोना कर्फ्यू (Corona curfew) में ढील दी जा सकती है. कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा जोनवार संक्रमण की समीक्षा करने के बाद कोरोना कर्फ्यू हटाया जा सकता है.इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने शुक्रवार को शहर में 10 दिन के सख्त लॉकडाउन लागू करने के दौरान अनलॉक की ओर इशारा किया। उन्होंने बताया कि फिलहाल राशन दुकानों को 7 से 8 दिन के लिए बंद किया गया है। इसके बाद ये 1 जून से खुलेंगी। शुरुआत में हो सकता है, पहले की तरह इसका समय 12 बजे तक ही रहे।

कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा एक जून से इंदौर शहर को कोरोना कर्फ्यू से निजात मिलने लगेगी. उन्होंने कहा लेकिन उससे पहले हालात की समीक्षा की जाएगी. जहां संक्रमण की दर कम होगी वहां एक जून से बाजार खुलने लगेंगे. पहले चरण में सब्जी और किराना की दुकानें खोली जाएंगी. उसके बाद थोक व्यापार और निर्माण गतिविधियों को छूट मिलेगी. अगर कोरोना काबू में रहा तो सबसे बाद में दुकानें और रेस्टोरेंट खोले जाएंगे. रेस्टोरेंट्स में टेक अवे की अनुमति होगी.

इंदौर की पॉजिटिविटी रेट 9% पर आई
इंदौर की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। शासन की मंशा है, 1 जून से शहर को खोलना शुरू करना चाहिए। अभी पॉजिटिव रेट 9% पर आ गई है। अप्रैल में तो यह 22 % तक पहुंच गई थी। अभी जो केस सामने आ रहे हैं, वे ए – सिंप्टोमैटिक ज्यादा हैं। कई अस्पताल फिलहाल खाली हो गए हैं। उम्मीद है कि पॉजिटिव रेट अभी और तेजी से गिरेगा। उन्होंने कहा कि सख्ती जरूरी है। साथ ही, लोग कोविड नियम का पालन करें।

थोड़ी राहत

इस बीच इंदौर में कोरोना संक्रमण को लेकर राहत भरी खबर है. नये पॉजिटिव मरीज़ों की संख्या लगातार घट रही है. यहां 937 नए पॉजिटिव मरीज पाए गये हैं और उससे लगभग दोगुने 1735 मरीज स्वस्थ होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज किये गए. हालांकि अभी भी इंदौर में एक्टिव मरीज़ों की संख्या 10 हज़ार 577 है. प्रदेश में कोरोना से सबसे ज़्यादा संक्रमित रहे इंदौर में अब थोड़ी राहत है. यहां अब 12 अप्रैल के बाद से 1 हज़ार से कम पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं.
कैलाश विजयवर्गीय की आपत्ति

गुरुवार को इंदौर में सीएम शिवराज की बैठक के बाद प्रशासन ने शहर में 10 दिन तक सख्त लॉकडाउन लगा दिया है. इस पर बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट किया कि आखिर इंदौर जैसे अनुशासित शहर पर एक अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरे निर्णय को थोपने की क्या जरूरत है. जिस निर्णय की सर्वत्र निंदा हो रही हो,उस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिलकर इस पर विचार करना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *