ग्वालियर। मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी अनूप कुमार सिंह की कोरोना संक्रमित मां रामदेवी को नहीं बचाया जा सका। उनका 35 दिन के उपचार के बाद मंगलवार को निधन हो गया। 2013 बैच के आइएएस अनूप ने अपनी कलेक्टरी इसलिए ठुकरा दी थी कि उनके लिए बीमार मां की सेवा सबसे अहम थी। दिन-रात मां की सेवा और 35 दिन ग्वालियर के अस्पताल में संघर्ष के बाद अनूप की मां रामदेवी को नहीं बचाया जा सका।

अनूप कुमार सिंह को सात मई को शासन ने दमोह कलेक्टर बतौर पदस्थ करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन बीमार मां की सेवा के लिए अनूप कुमार सिंह ने पहली बार मिलने जा रही कलेक्टरी को स्वीकार करने में असमर्थता जता दी थी। शासन ने उनकी स्थिति जानने के बाद आदेश में बदलाव कर यथावत कर दिया।

अनूप उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के रहने वाले हैं। इटावा में भी घर है और बीमार होने के समय मां इटावा में ही थीं। उनके परिवार में पिता और तीन बहनें हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है। फरवरी 2019 में अनूप कुमार सिंह यहां ग्वालियर में पदस्थ हुए और बतौर अपर कलेक्टर 14 जून 2020 तक रहे। इसके बाद उन्‍हें जबलपुर स्‍थानातंरित कर दिया गया । 

13 अप्रैल 2021 को उनकी मां रामदेवी उम्र 67 साल की तबीयत बिगड़ी तो ग्वालियर नजदीक और बड़ा शहर होने के कारण यहां निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। भर्ती के समय उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई फिर बाद मंे पॉजिटिव हो गई। पिछले 9 दिनों से रामदेवी वेंटिलेटर पर थीं और उनका डायलिसिस चल रहा था। डॉक्टरों ने पूरा प्रयास किया, लेकिन मंगलवार सुबह उनका निधन हो गया।

सब छोड़कर सेवा की
अनूप सिंह सब छोड़कर मां की सेवा में लगे रहे और पूरे प्रयास किए। इसके साथ यहां ग्वालियर प्रशासन के अधिकारियों ने भी माॅनीटरिंग रखी। निधन के बाद मां के शव को कानपुर ले जाया गया, जहां शाम को अंत्‍येष्टि कर दी गई। 

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