रायपुर। 8 माह की गर्भवती स्टाफ नर्स  दुलारी ढीमर अपनी जिम्मेदारी पूरी शिद्दत के साथ निभाती रही इसी दौरान कोरोना संक्रमित होने के बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई हालात को देखते हुए उन्हें बेमेतरा जिला कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां विभाग के ही डॉक्टरों के द्वारा इलाज में लापरवाही बरती गई और रेमडेसीवीर इंजेक्शन भी उनके लिए उपलब्ध नहीं था।

जिससे स्थिति बिगड़ती चली गई तब परिवार वालों के द्वारा भाग दौड़ कर दुर्ग -भिलाई से काफी मशक्कत करने के बाद ब्लैक में 15 और 20 हजार रुपए खर्च कर  2 इंजेक्शन  खरीद कर लाया गया। उसके बाद भी स्थिति बेकाबू हो गई तब जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने स्थिति को भापते हुए उन्हें रायपुर रिफर कर दिया गया जहां उन्हें भी समय पर ऑक्सीजन और बेड के लिए काफी इंतजार करना पड़ और इस बीच उनकी मौत हो गई दुलारी की मौत से पूरे परिवार मातम में डूबा हुआ है।

 वही पूरा परिवार जिला अस्पताल के कार्यप्रणाली से काफी खासे नाराज हैं उनका कहना है समय पर उनकी छुट्टी मंजूर हो जाती है तो स्थिति निर्मित नहीं होती लाख मन्नते के बाद भी उन्हें मातृत्व अवकाश नहीं दिया गया अब जवाबदार  निरुत्तर हो गए हैं।

  पूरा मामला बेमेतरा जिला के नगर पंचायत परपोडी स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत दुलारी ढीमर विगत 2 वर्षों से अपनी सेवा दे  रही थी मृतिका दुलारी बाई का एक 3 वर्षीय बेटी भी है और 8 माह से गर्भ से थी वह इस पूरे मामले पर घरवालों का कहना है उच्च अधिकारी को छुट्टी के लिए कई बार आवेदन दिया गया था उसके बावजूद नियम का हवाला देखकर छुट्टी मंजूर नहीं किया गया उसके बाद भी दुलारी अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा के साथ करती रही आज दुर्भाग्य की बात है खुद मरीजों की सेवा करने वाली  को अपनी जान बचाने के लिए अपनों से ही सहायता नहीं मिली और मौत हो गई।

आखिर  इस प्रकार की व्यवस्था पर सवाल उठता है?

जो महिला अपना काम पूरी निष्ठा के साथ करती रही और उनके विभाग के लोग की उपेक्षा की शिकार हो गई जो लगातार दूसरों की जान बचाने के खातिर कोरोना काल में अपनी जवाबदारी बखूबी निभाई जब अपनी जान आफत में आई तो जिला अस्पताल बेमेतरा में ना बेड मिला और ना समय पर इंजेक्शन  आखिर इसका  का जवाबदार कौन?

आखिर स्वास्थ्य विभाग अपने ही स्टाफ के लिए गैर जिम्मेदाराना लापरवाही करते हुए दिख रहे हैं। तो आम लोगों के साथ अस्पताल में क्या होता होगा आम लोगों के लिए क्या मुहैया कराती होगी जिला अस्पताल एक बार फिर प्रश्नचिन्ह के घेरे पर?

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