ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिला अस्पताल में कल देर रात्रि को हर रोज की तरह कोविड वार्ड में मरीजों का उपचार किया जा रहा था। अचानक अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की सूचना अस्पताल में भर्ती मरीजों के अटेंडरों को मिली। इस सूचना पर अटेंडरों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। अटेंडरों ने ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया। वे सिलेंडर लूटने के लिए भी पहुंच गए। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ कोविड वार्ड से बाहर निकल आया। यह सूचना जिला प्रशासन व पुलिस को लगी। पुलिस के जवान तत्काल अस्पताल पहुंचे और आक्रोशित अटेंडरों को कंट्रोल किया। भिण्ड कलेक्टर सतीश कुमार एस, पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डाॅं. अजीत मिश्रा ने स्थिति को संभाला। इसके बाद आज सुबह तीन बजे ऑक्सीजन खत्म होने से पहले एक गाड़ी भिण्ड जिले के औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर से मंगाई गई।

एक रोगी के अटेंडर ने कहा कि मैं, रात के समय अपने मरीज की सेवा के लिए आया था और अस्पताल के कोविड वार्ड के बाहर घूम रहा था। तभी अचानक वार्ड के अंदर से शोरगुल सुनाई दिया। अंदर जाकर देखा तो मरीजों के अटेंडर, ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से बहस कर रहे थे। सभी का कहना था कि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गए। अब सिलेंडर नहीं है। ऐसे में कुछ लोगों ने सिलेंडर को भी अपने कब्जे में लेना चाहा।

अटेंडरों द्वारा बहस व अभद्रता किए जाने से ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने हाथ खड़े किए और वे वार्ड से बाहर आ गए। इस समय कोविड वार्ड में 120 से अधिक मरीज ऑक्सीजन पर थे। चिकित्सा स्टाफ ने अस्पताल प्रबंधन को पूरे मामले की सूचना दी। अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन और पुलिस के अफसरों को सूचित किया। इसके कुछ ही मिनटों में मौके पर पुलिस आ गई। रात करीब पौने बारह बजे कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस, पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह और सीएमएचओ डाॅ. अजीत मिश्रा भी आ गए।

मौके पर पहुंचे कलेक्टर, एसपी व सीएमएचओ ने ऑक्सीजन सिलेंडर व्यवस्था की जानकारी ली। तभी कर्मचारी मनोज ने बताया कि जिन सिलेंडरों से ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही है, वे खत्म हो गए। स्टोर में तीन सिलेंडर ही हैं। यह सिलेंडर सभी मरीजों को रात तीन बजे तक ही ऑक्सीजन दे सकते हैं। इसके बाद ऑक्सीजन नहीं है। प्रशासनिक अफसरों ने मालनपुर स्थित सूर्या फैक्ट्री में फोन किया। यहां से सिलेंडर सप्लाई देने की बात हुई। रात 3 बजे आॅक्सीजन सिलेंडर आए जब कहीं जाकर प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल से जा सके।

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